दुनियाभर के 600 से अधिक शिक्षाविदों और विद्वानों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला खत लिखकर कठुआ और उन्नाव बलात्कार मामलों पर अपनी नाराजगी का इजहार करते हुए उन पर देश में बने गंभीर हालात पर चुप्पी साधे रहने का आरोप लगाया। पीएम मोदी को लिखे खत में इन दोनों मामलों के आरोपियों को बचाने की कोशिशों पर भी गुस्सा दिखाया है।
File Photoयह खत ऐसे दिन आया है जब कठुआ और सूरत में नाबालिग बच्चियों के बलात्कार और हत्या और उन्नाव में एक लड़की से बलात्कार को लेकर देशभर में आक्रोश के बीच केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 12 वर्ष और उससे कम उम्र की बच्चियों से बलात्कार के मामले में दोषी पाए जाने पर मृत्युदंड सहित कड़े दंड के प्रावधान वाले अध्यादेश को मंजूरी दी।
समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी को संबोधित पत्र में कहा गया है कि वे कठुआ-उन्नाव और उनके बाद की घटनाओं पर अपने गहरे गुस्से और पीड़ा का इजहार करना चाहते हैं। पत्र में लिखा गया, ‘हमने देखा है कि देश में बने गंभीर हालत पर और सत्तारूढ़ों के हिंसा से जुड़ाव के निर्विवाद संबंधों को लेकर आपने लंबी चुप्पी साध रखी है।’
इस पत्र पर न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय, ब्राउन विश्वविद्यालय, हार्वर्ड, कोलंबिया विश्वविद्यालयों और विभिन्न आईआईटी के शिक्षाविदों और विद्वानों ने हस्ताक्षर किए हैं। NDTV के मुताबिक इससे पहले देश के 49 रिटायर नौकरशाहों ने भी प्रधानमंत्री मोदी को एक खुला खत लिखा था। खत में लिखा गया था कि कठुआ और उन्नाव की दर्दनाक घटनाएं दिखाती हैं कि सरकार अपनी बहुत ही मूल जिम्मेदारियों को पूरा करने में भी नाकाम रही है।
ये हमारा सबसे काला दौर है और इससे निपटने में सरकार और राजनीतिक पार्टियों की कोशिश बहुत ही कम और कमजोर है। पत्र में आगे लिखा गया था कि नागरिक सेवाओं से जुड़े हमारे युवा साथी भी लगता है अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने में नाकाम रहे हैं। इस पत्र में प्रधानमंत्री से कहा गया है कि वो कठुआ और उन्नाव में पीड़ित परिवारों से माफ़ी मांगें और मामलों की फास्ट ट्रैक जांच करवाएं।