जस्टिस चेलमेश्वर बोले- ‘रिटायरमेंट के बाद नहीं लूंगा कोई सरकारी पद’

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करीब ढाई महीने पहले चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) दीपक मिश्रा के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों में से एक जस्टिस चेलमेश्‍वर ने शनिवार (7 अप्रैल) को कहा कि उन्हें निराशा और पीड़ा के कारण 12 जनवरी को प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी पड़ी थी। साथ ही उन्होंने कहा कि वे रिटायरमेंट के बाद कोई सरकारी पद नहीं लेंगे।चेलमेश्वर ने कहा है कि 22 जून को सेवानिवृत होने के उपरांत वह सरकार से कोई पद (नियुक्ति) नहीं लेंगे।

File Photo: Ravi Choudhary/PTI

शुक्रवार को हार्वर्ड क्लब नामक संस्था के कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार करण थापर द्वारा लिए गए इंटरव्यू में सवालों का जवाब दे रहे थे। चर्चा का विषय ‘लोकतंत्र में न्यायपालिका की भूमिका’ था। इस दौरान जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा कि ‘मैं रिटायर होने के बाद कोई पद नहीं लूंगा। मैं इसके खिलाफ हूं।’ उन्होंने कहा कि तीन अन्य वरिष्ठ न्यायाधीशों के साथ 12 जनवरी का (उनका) प्रेस कॉन्फेंस सुप्रीम कोर्ट के कामकाज को लेकर चिंता और नाखुशी प्रकट करने के लिए था।

समाचार एजेंसी PTI के मुताबिक, इस दौरान उन्होंने कहा है कि महाभियोग हर समस्या का जवाब नहीं हो सकता। सीजेआई के बाद सबसे वरिष्ठ जज चेलामेश्वर ने कहा कि न्यायपालिका की हर समस्या का हल महाभियोग नहीं है, सिस्टम को दुरुस्त करने की जरूरत है। उन्होंने ये बातें दिल्ली में एक कार्यक्रम में कहीं।

जस्टिस चेलमेश्‍वर ने इस साल 12 जनवरी को 3 अन्य जजों जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एमबी लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ के साथ मिलकर किए गए अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस की परिस्थितियों के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि उन्होंने शीर्ष अदालत के कामकाज से जुड़े जिन मुद्दों को उठाया था, उस पर सीजेआई की तरफ से यथोचित नतीजे नहीं मिले, प्रेस कॉन्फ्रेंस उनकी ‘पीड़ा’ और ‘चिंताओं’ का नतीजा था।

उन्होंने कहा कि सीजेआई बेशक ‘मास्टर ऑफ रोस्टर’ हैं, सीजेआई को उसकी शक्ति है। उन्होंने कहा कि सीजेआई को बेंचों के गठन का भी अधिकार है लेकिन संवैधानिक व्यवस्था के तहत हर शक्ति के साथ कुछ जिम्मेदारियां भी जुड़ी हुई होती हैं। जस्टिस ने कहा कि शक्ति के इस्तेमाल की जरूरत इसलिए नहीं है कि वह मौजूद है, बल्कि उसकी जरूरत लोक हित को हासिल करने के लिए है। आप शक्ति का इस्तेमाल सिर्फ इसलिए नहीं करते कि यह आपके पास है।

जब उनसे पूछा गया कि क्या आपको लगता है कि बेंचों के गठन और केसों के आवंटन की शक्ति का इस्तेमाल मनमाने ढंग से नहीं होना चाहिए तो उन्होंने हां में जवाब दिया। वरिष्ठ पत्रकार करन थापर के इस सवाल पर कि क्या सीजेआई के खिलाफ महाभियोग के लिए पर्याप्त आधार हैं तब उन्होंने कहा कि, ‘यह सवाल ही क्यों है? एक दिन कोई मेरे खिलाफ भी महाभियोग की मांग कर रहा था। मुझे नहीं पता कि यह देश महाभियोग को लेकर इतना चिंतित क्यों है। वास्तव में हमने (जस्टिस रंजन गोगोई के साथ मिलकर) जस्टिस सी.एस. कर्नन के फैसले में लिखा था कि सिस्टम को दुरुस्त करने का मेकनिजम होना चाहिए।

जस्टिस चेलमेश्‍वर ने आगे कहा कि, ‘महाभियोग हर सवाल या हर समस्या का जवाब नहीं हो सकता है। कुछ दिनों पहले मैंने सुना था कि कोई मेरे खिलाफ महाभियोग की बात कर रहा था। लोग कहते रहते हैं, मैं आपसे सहमत नहीं हूं लेकिन मैं ऐसा कहने के आपके अधिकार की रक्षा करूंगा।’

हार्वर्ड क्लब ऑफ इंडिया के कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि 22 जून को रिटायरमेंट के बाद वो सरकार से कोई नियुक्ति नहीं चाहते। गौरतलब है कि विपक्षी पार्टियां सीजेआई दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू करने वाली हैं। अभी तक देश में किसी भी सीजेआई को महाभियोग का सामना नहीं करना पड़ा है।

गौरतलब है कि 12 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों (जस्टिस जे. चेलमेश्वर, रंजन गोगोई, एम. बी. लोकुर और कुरियन जोसफ) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कई मुद्दों को उठाया था, जिनमें अहम और संवेदनशील जनहित याचिकाओं के आवंटन का मुद्दा भी शामिल था। जजों ने सीजेआई की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया था कि वह अहम मामलों को ‘पसंद की बेंचों’ में भेज रहे हैं।

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