उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं के खिलाफ चल रहे सभी मुकदमों को रद्द करने का फरमान जारी करने के बाद राज्य के अलग-अलग शहरों में हुए दंगे और हिंसा के दौरान भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेताओं के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लेने की कोशिश जारी हैं। मुजफ्फरनगर दंगे के 131 मुकदमों की वापसी की प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही अब सहारनपुर हिंसा मामले में भी कानून के शिकंजे में आए बीजेपी सांसद सहित छह अन्य नेताओं पर दर्ज मुकदमों की वापसी की सुगबुगाहट शुरू हो गई है।
नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक माना जा रहा है कि मुजफ्फरनगर में वर्ष 2013 में हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद दर्ज 131 मुकदमों की वापसी के साथ ही सहारनपुर हिंसा मामले में भी बीजेपी नेताओं पर दर्ज मुकदमों को वापस लिया जाएगा। बता दें कि सहारनपुर के सड़क दूधली हिंसा मामले में बीजेपी के सांसद, पार्टी के पूर्व विधायक सहित संगठन के कई पदाधिकारी नामजद हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक मुकदमों की वापसी की मांग बीजेपी के पूर्व विधायक राजीव गुंबर का दावा है कि सड़क दूधली मामले में दर्ज छह मुकदमों को वापस कराने की मांग को लेकर वह यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और कानून मंत्री ब्रजेश पाठक से मिल चुके हैं। इसके साथ ही पत्र के साथ अन्य दस्तावेज भी सौंपे जा चुके हैं। वापसी का आधार भी बताया जा चुका है। पूर्व विधायक का कहना है कि दोनों नेताओं ने जिला प्रशासन से रिपोर्ट मंगवाकर मुकदमे वापसी की कार्रवाई कराने का भरोसा दिया है।
पत्र सौंपने वाले बीजेपी नेता ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में दावा किया है कि सड़क दूधली मामले के सारे मुकदमे जल्द ही योगी सरकार वापस ले लेगी। बता दें कि इन मुकदमों में सहारनपुर के सांसद राघव लखनपाल, विधायक कुंवर ब्रजेश सिंह, प्रदीप चौधरी और संगठन के कई पदाधिकारियों को नामजद किया गया था। बीजेपी के सहारनपुर महानगर अध्यक्ष गगनेजा, सांसद राघव लखनपाल के छोटे भाई राहुल समेत सात के खिलाफ गैर जमानती वॉरंट भी जारी हो गए थे।
क्या था पूरा मामला?
बता दें कि पिछले साल 20 अप्रैल 2017 को सहारनपुर के सड़क दूधली से बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की शोभायात्रा निकालने को लेकर गुदो संप्रदायों के बीच टकराव हो गया था। इस दौरान जमकर पथराव हुआ था। पुलिस अफसरों के सामने ही दुकानों में तोड़फोड़ की गई। उपद्रवियों ने दून हाईवे पर आगजनी और फायरिंग भी की थी। इसके अलावा बीजेपी नेताओं के नेतृत्व में पुलिस कप्तान आवास पर भी तोड़फोड़ की गई थी।
बीजेपी नेताओं ने स्थानीय विधायक के साथ मिलकर तत्कालीन एसएसपी लव कुमार के आवास पर घंटों तक कब्जा कर रखा था, जिसके बाद यह मामला बढ़ता चला गया। उपद्रवियों ने एसएसपी बंगले में तोड़फोड़ के बाद गेट पर लगा सीसीटीवी कैमरा भी तोड़ दिया था। उस वक्त मीडिया रिपोर्ट में यह कहा गया था कि एसएसपी लव कुमार के परिवारवालों को तबेले में जाकर अपनी जान बचानी पड़ी थी।
सड़क दूधली के बाद ही यह हिंसा की आग सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव में दलितों और राजपूतों के बीच जातीय संघर्ष हो गया था। इस दौरान दलितों के 60 से ज्यादा मकान जला दिए गए थे और कई वाहन फूंक दिए थे। जिसके बाद पीड़ितों को इंसाफ दिलाने के लिए 9 मई 2017 को सहारनपुर में इकट्ठा हुए दलितों का पुलिस से संघर्ष हो गया था। इस दौरान सहारनपुर में नौ जगहों पर हिंसा हुई थी।