उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं के खिलाफ चल रहे सभी मुकदमों को रद्द करने का फरमान जारी करने के बाद अब 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान कानून के शिकंजे में आए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेताओं सहित 131 आरोपियों को राहत देने की प्रक्रिया शुरू कर दिया है। इन मामलों में ज्यादातर संगीन अपराध से जुड़े हैं, जिनमें 7 साल कारावास की सजा हो सकती है। इसके अलावा 16 मामले धर्म के आधार पर वैमनस्यता फैलाने के सिलसिले में दर्ज हैं। वहीं दो मामलों में भड़काऊ भाषण देने का आरोप है।
File Photo: AajTakइंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक योगी सरकार ने मुजफ्फरनगर दंगे के आरोपियों पर से 131 मुकदमे वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। वापस लिए जाने वाले इन केसों में हत्या के 13 और हत्या के प्रयास के 11 मामले शामिल हैं। 2013 में मुजफ्फरनगर और शामली में हुए दंगों में करी 500 से अधिक मुकदमे दर्ज हुए थे। केस से जुड़े दस्तावेजों को देखने पर इंडियन एक्सप्रेस ने पाया कि सभी केस जघन्य अपराध से जुड़े हैं। जिसमें कम से कम सात साल की सजा होती है।
रिपोर्ट के मुताबिक 16 मुकदमे सेक्शन 153 ए यानी धार्मिक आधार पर दुश्मनी फैलाने के आरोप तथा दो मुकदमे सेक्शन 295 के दर्ज हैं, यानीी किसी धर्म विशेष की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले भाषण देने का आरोप है। दंगों के बाद 1455 लोगों के खिलाफ 503 केस दर्ज हुए थे। बता दें कि दंगे में बीजेपी के विधायक संगीत सोम और सुरेश राणा भी आरोपी हैं। इसके अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बाल्यान, सांसद भारतेंदु सिंह, विधायक उमेश मलिक और पार्टी नेता साध्वी प्राची के खिलाफ मामले दर्ज हैं।
बीजेपी सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान और विधायक उमेश मलिक के नेतृत्व में खाप पंचायतों के प्रतिनिधिमंडल ने पांच फरवरी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर उन्हें 179 केस की लिस्ट सौंपकर वापस कराने की मांग की थी। जिसके बाद से हरकत में आई सरकार ने मुकदमों की वापसी की प्रक्रिया शुरू की है। इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में संजीव बालियान ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री को सूची सौंपी थी, जिसमें सभी हिंदू थे।
अखबार के मुताबिक 23 फरवरी को उत्तर प्रदेश के कानून विभाग ने विशेष सचिव राजेश सिंह के हवाले से मुजफ्फरनगर और शामली के जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर 131 मुकदमों के संबंध में 13 बिंदुओं पर सूचना मांगी थी। साथ ही जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक से केस हटाने को लेकर संस्तुति मांगी गई थी। हालांकि मुख्य सचिव गृह अरविंद कुमार का कहना है कि मुझे इसके बारे में जानकारी नहीं है, इन मामलों को राज्य का कानून विभाग देखता है।
विपक्ष ने किया विरोध
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 2013 में हुए मुजफ्फरनगर और शामली सांप्रदायिक दंगे से जुड़े 131 मामलों को वापस लेने की खबर आने के बाद विपक्ष ने कड़ विरोध जताया है। कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कड़ा विरोध जताते हुए ट्विटर पर लिखा है, ‘राज्य में हत्यारे सुरक्षित हैं, हिंसा के पीड़ित नहीं। योगी सरकार दंगों से संबंधित 131 केस वापस लेने का फैसला कर यही संदेश देना चाहती है।’
State to protect murderers not victims of violence . That is the message in Yogi's decision to withdraw 131 riot cases . Wither rule of law?
— Kapil Sibal (@KapilSibal) March 22, 2018
बता दें, सितंबर 2013 में मुजफ्फरनगर और आसपास के इलाकों में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए थे। इन दंगों में कम से कम 62 लोग मारे गए थे, जबकि 50 हजार से भी ज्यादा लोग विस्थापित हो गए थे। इस दौरान प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) की सरकार थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने दंगों के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए थे। पुलिस ने दंगों के मामले में 1455 लोगों के खिलाफ 503 केस दर्ज किए थे।