जेपी ग्रुप को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, 10 मई तक जमा कराने होंगे 200 करोड़ रुपये

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सुप्रीम कोर्ट से बुधवार (21 मार्च) को दिवालिया होने की कगार पर खड़े जेपी ग्रुप को लताड़ लगाते हुए कहा है कि उसे हर हाल में निवेशकों के द्वारा जमा की गई रकम को लौटाना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस रीयल एस्टेट कंपनी जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (जेएएल) को 10 मई तक दो किश्तों में 200 करोड़ रुपये जमा कराने को कहा है। फ्लैट खरीदारों को पैसा वापस ना लौटाने पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जेपी ग्रुप लोगों का पैसा ऐसे नहीं दबा सकता।समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने रीयल एस्टेट कंपनी को छह अप्रैल तक 100 करोड़ रुपये और शेष राशि 10 मई तक जमा कराने को कहा है। पीठ में न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़भी शामिल हैं। पीठ ने यह भी कहा कि रिफंड का विकल्प चुनने वाले मकान खरीददारों को रीयल एस्टेट कंपनी की ओर से ईएमआई भुगतान में डिफॉल्ट का कोई नोटिस ना भेजा जाये।

शीर्ष अदालत ने जेएएल से कहा कि वह रिफंड पाने के इच्छुक सभी मकान खरीददारों का परियोजना- दर- परियोजना चार्ट जमा करें, ताकि उन्हें आनुपातिक आधार पर धन वापस किया जा सके। न्यायालय ने कहा, ‘‘अभी हम रिफंड को लेकर चिंतित हैं। जो मकान खरीददार फ्लैट चाहते हैं उनके मुद्दों पर बाद में बात करेंगे।’’

इस बीच जेएएल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 31,000 मकान खरीददारों में से केवल आठ फीसदी ने रिफंड का विकल्प चुना है और बाकी चाहते हैं कि फ्लैट उन्हें सौंप दिया जाए। कंपनी ने न्यायालय को यह भी बताया कि उसे2017-18 में अभी तक13,500 फ्लैटों के लिए कब्जा प्रमाणपत्र मिले हैं।

जेएएल ने 25 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में 125 करोड़ रुपये जमा कराए थे। न्यायालय ने मकान खरीददारों के हितों की रक्षा करने के लिए उसे ऐसा करने के निर्देश दिए थे। न्यायालय ने जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड ( जेआईएल) का स्वामित्व रखने वाली जेएएल को 10 जनवरी को देश में अपनी आवासीय परियोजनाओं की जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था और उसने कहा था कि मकान खरीददारों को या तो उनके मकान वापस किए जाएं या उनकी धनराशि लौटाई जानी चाहिए।

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