सार्वजनिक क्षेत्र के पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में लेनदेन में 11,300 करोड़ रुपये धोखाधड़ी का मामला सामने आने के बाद देश में सनसनी मची हुई है। हीरा कारोबारी नीरव मोदी के बैंक घोटाले के बाद अब किंग ऑफ पेन के नाम से मशहूर उद्योगपति और रोटोमैक कंपनी के मालिक विक्रम कोठारी पर कई बैंकों को करोड़ों का चूना लगाने का आरोप है।इस बीच रोटोमैक पेन के प्रमोटर विक्रम कोठारी के खिलाफ 800 करोड़ रुपये का कर्ज नहीं चुकाने के मामले में बैंक ऑफ बड़ौदा की तरफ से दी गई शिकायत पर सीबीआई ने एक प्राथमिकी दर्ज की है। अधिकारियों ने सोमवार (19 फरवरी) को यह जानकारी दी। साथ ही, प्रवर्तन निदेशालय ने भी पीएमएलए के तहत मनी लॉन्ड्रिंग का मुकदमा दर्ज कर लिया है।
अधिकारियों के बताया कि जांच एजेंसी ने सोमवार सुबह कानपुर में कोठारी के घर और दफ्तरों पर छापेमारी शुरू की।
सीबीआई प्रवक्ता अभिषेक दयाल ने स्पष्ट रूप से कहा कि इस मामले में अब तक कोई गिरफ्तारी हुई है। उन्होंने कहा कि छापेमारी की कार्यवाही के दौरान कोठारी, उनकी पत्नी और बेटे से पूछताछ की गई।
बता दें कि पंजाब नेशनल बैंक में हुई 11,300 करोड़ रुपये की सनसनीखेज धोखाधड़ी के मामले के सामने आने के बाद बड़े पैमाने पर बैंकिंग धोखाधड़ी का यह दूसरा मामला है। दरअसल पहले ऐसी अफवाह फैली थी कि नीरव मोदी की तरह कोठारी भी कई बैंकों से लोन लेकर देश से भाग गए हैं।
जिसके बाद विक्रम कोठारी ने मीडिया के सामने आकर अपने बारे में उड़ रही अटकलों का खंडन किया था। उन्होंने कहा कि कानपुर से ही इज्जत और नाम कमाया है। ये देश मेरा है और अपना शहर व देश छोड़कर जाने की अटकलें कोरी अफवाह हैं। बैंकों का मुझ पर लोन है और इस संबंध में मामला एनसीएलटी में चल रहा है। बैंक और मैं एक दूसरे का सहयोग कर रहे हैं और मिलकर समाधान का रास्ता निकाल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि व्यापारी हूं और बैंकों पर बकाया अपने कर्ज का पूरा भुगतान करूंगा। सूत्रों के मुताबिक कोठारी पर इलाहाबाद बैंक, बैंक ऑफ इंडिया और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया समेत कई सार्वजनिक बैंकों को नुकसान पहुंचाने का आरोप है। कानपुर के कारोबारी कोठारी ने पांच सार्वजनिक बैंकों से 800 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज लिया था।
सूत्रों के अनुसार कोठारी को कर्ज देने में इलाहाबाद बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन ओवरसीज बैंक और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने नियमों के पालन में ढिलाई की। कोठारी ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से 485 करोड़ रुपये और इलाहाबाद बैंक से 352 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था। उन्होंने कर्ज लेने के साल बाद कथित तौर पर ना तो मूलधन चुकाया और ना ही उस पर बना ब्याज।
पिछले साल कर्ज देने वाले बैंकों में शामिल बैंक ऑफ बड़ौदा ने रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड को विलफुल डिफॉल्टर (जानबूझकर कर्ज नहीं चुकानेवाला) घोषित कर दिया। इस सूची से नाम हटवाने के लिए कंपनी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट की शरण ली थी। जहां मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी.बी.भोसले और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने कंपनी की याचिका पर सुनवाई करते हुए उसे सूची से बाहर करने का आदेश दिया था।
कोर्ट ने कहा था कि कर्ज चूक की तारीख के बाद कंपनी ने बैंक को 300 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति की पेशकश की थी, बैंक को गलत तरीके से सूची में डाला गया है। बाद में रिजर्व बैंक द्वारा तय प्रक्रिया के अनुसार एक प्राधिकृत समिति ने 27 फरवरी 2017 को पारित आदेश में कंपनी को जानबूझ कर ऋण नहीं चुकाने वाला घोषित कर दिया। बता दें कि यह जानकारी ऐसे समय सामने आई है जब महज एक सप्ताह पहले पंजाब नेशनल बैंक में करीब 11,300 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी खुलासा हुआ है।