वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और नोटबंदी के कारण विकास दर घटने के अनुमानों को लेकर चौरतफा आलोचनाओं से घिरी केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के लिए विश्व बैंक से एक राहत वाली खबर आई है। विश्व बैंक ने अनुमान जताया है कि साल 2018 में भारत की विकास दर 7.3 प्रतिशत रह सकती है और अगले 2 सालों में यह 7.5 प्रतिशत हो सकती है।
(AFP File Photo)न्यूज एजेंसी PTI के हवाले से नवभारत टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक विश्व बैंक ने कहा है कि इस महत्वाकांक्षी सरकार में हो रहे व्यापक सुधार उपायों के साथ भारत में दुनिया की दूसरी उभरती अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में विकास की कहीं अधिक क्षमता है।
साथ ही विश्व बैंक ने 2018 के लिए भारत की विकास दर के 7.3 प्रतिशत पर रहने का अनुमान जताया है। यही नहीं, विश्व बैंक के अनुमान के मुताबिक भारत अगले दो सालों में 7.5 फीसदी की दर से आगे बढ़ सकता है। वर्ल्ड बैंक ने 2018 ग्लोबल इकनॉमिक प्रॉस्पेक्ट मंगलवार को रिलीज किया, जिसमें नोटबंदी और जीएसटी से लगे शुरुआती झटकों के बावजूद 2017 में भारत की विकास दर 6.7 फीसदी रहने का अनुमान जताया जा रहा है।
वर्ल्ड बैंक के डिवेलपमेंट प्रॉस्पेक्ट्स ग्रुप के डायरेक्टर आइहन कोसे ने कहा कि अगले दशक में भारत दुनिया की दूसरी किसी उभरती अर्थव्यवस्था की तुलना में उच्च विकास दर हासिल करने जा रहा है। उन्होंने कहा कि शॉर्ट टर्म आंकड़ों पर उनका फोकस नहीं है। भारत की जो बड़ी तस्वीर बन रही है वह यही बता रही है कि इसमें विशाल क्षमता है।
उन्होंने धीमी पड़ती चीनी अर्थव्यवस्था से तुलना करते हुए कहा कि भारत विकास के रास्ते पर आगे बढ़ेगा। वर्ल्ड बैंक की इस नई रिपोर्ट के लेखक कोसे ने कहा कि भारत के तीन सालों के विकास के आंकड़े काफी अच्छे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में चीन 6.8 फीसदी की रफ्तार से आगे बढ़ा। यह भारत की तुलना में केवल 0.1 फीसदी अधिक है।
2018 में चीन के लिए अनुमान 6.4 फीसदी विकास दर का है। अगले दो सालों के लिए यह अनुमान और घटाकर क्रमशः 6.3 और 6.2 फीसदी कर दिया गया है। कोसे ने कहा कि भारत को अपनी क्षमताओं का सही इस्तेमाल करने के लिए निवेश की संभावनाओं को बढ़ाने वाले कदम उठाने होंगे।
कोसे के मुताबिक लेबर मार्केट रिफॉर्म, शिक्षा, स्वास्थ्य में सुधार और निवेश के रास्ते में आ रही बाधाओं को दूर करने से भारत की संभावनाएं और बेहतर होंगी। कोसे ने भारत के जनसांख्यिकी प्रोफाइल की भी तारीफ की और कहा कि दूसरी अर्थव्यवस्थाओं में ऐसा कम ही देखने को मिलता है।
हालांकि कोसे ने दूसरी उभरती अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारत में महिला श्रम की हिस्सेदारी कम होने की बात कही है। कोसे ने कहा कि महिला श्रम की हिस्सेदारी बढ़ाकर काफी बड़ा फर्क पैदा किया जा सकता है। कोसे ने कहा कि भारत के सामने बेरोजगारी घटाने जैसी चुनौतियां हैं।
भारत अगर इन चुनौतियों से निपटने में सफल रहा तो वह अपनी क्षमता का इस्तेमाल कर पाएगा। कोसे ने अगले दशक में भारतीय विकास दर के सात फीसदी रहने का अनुमान जताया है।