महाराष्ट्र के पुणे में दंगे जैसी स्थिति होने से वहां काफी तनावपूर्ण माहौल हो गया है। दरअसल पुणे में नए साल (सोमवार) के दिन उस समय हिंसा भड़क गई जब भीमा-कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं वर्षगांठ मना रहे दलितों की मराठा संगठन के लोगों से हिंसक झड़प हो गई। इस हिंसा में एक शख्स की मौत हो गई और कई के घायल होने की खबर है। साथ ही बड़े स्तर पर आगजनी भी हुई है। मुंबई पुलिस के PRO ने कहा है कि कई इलाकों से 100 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया है।
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पुणे में इन दो समुदायों के बीच हुई जातीय हिंसा का असर महाराष्ट्र के अन्य इलाकों में भी देखा जा रहा है। मंगलवार को मुंबई के अलावा, हड़पसर व फुरसुंगी में बसों पर पथराव किया गया। अभी भी पुणे सहित महाराष्ट्र के कई अन्य इलाकों में तनाव की स्थिति कायम है। हिंसा के मद्देनजर राज्य रिजर्व पुलिस बल की कंपनियों समेत और पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है।
Pune: Buses vandalised in Hadapsar, Fursungi; all bus services to Ahemadnagar, Aurangabad suspended #BhimaKoregaonViolence pic.twitter.com/8ZH7zNsfwD
— ANI (@ANI) January 2, 2018
मुंबई पुलिस के पीआरओ ने बताया कि राज्य में विभिन्न जगहों से 100 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया है। पीआरओ ने बताया कि चेंबूर और पूर्वी उपनगरीय इलाकों में धारा 144 लागू नहीं की गई है, हालांकि चेंबूर में सुरक्षा बढ़ाई गई है। पुणे से अहमदनगर के लिए सभी बस सेवाएं बहाल कर दी गई हैं।
Maharashtra: Violence between two groups during an event to mark 200 years of the Bhima Koregaon battle near Pune yesterday, vehicles set on fire pic.twitter.com/5RpITAK4qB
— ANI (@ANI) January 2, 2018
राहुल गांधी ने बीजेपी-RSS को बताया दलित विरोधी
इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर बीजेपी-आरएसएस को दलित विरोधी बताते हुए निशाना साधा है।उन्होंने मंगलवार शाम ट्वीट कर कहा कि भारत के लिए RSS और बीजेपी का फासीवादी दृष्टिकोण ही यही है कि दलितों को भारतीय समाज में निम्न स्तर पर ही रहना चाहिए।
राहुल ने ट्विटर पर लिखा, “RSS/BJP के फासीवादी दृष्टिकोण का केंद्रीय स्तंभ यह है कि दलित भारतीय समाज में निचले स्तर पर बने रहने चाहिए। ऊना, रोहित वेमुला और अब भीमा-कोरेगांव इस प्रतिरोध के प्रबल संकेत हैं।”
A central pillar of the RSS/BJP’s fascist vision for India is that Dalits should remain at the bottom of Indian society. Una, Rohith Vemula and now Bhima-Koregaon are potent symbols of the resistance.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 2, 2018
बता दें कि 1 जनवरी को भीमा कोरेगांव युद्ध के 200 साल पूरे होने पर लाखों की संख्या में दलित समुदाय के लोग शौर्य दिवस मनाने इकट्ठा हुए थे। रिपोर्ट के मुताबिक समारोह भीम कोरेगांव के जय स्तंभ पर शांतिपूर्वक चल रहा था, लेकिन पड़ोसी गांवों की ओर से हिंसक झड़प शुरू हो गई। जिसके बाद पुणे की हिंसा की आग महाराष्ट्र के अन्य इलाकों में भी फैल गई। इस बीच कार्यकर्ता और BR आंबेडकर के पोते प्रकाश आंबेडकर ने बुधवार को महाराष्ट्र बंद का आह्वान किया है।
फडणवीस ने दिए न्यायिक जांच के आदेश
पुणे की जातीय हिंसा पर प्रतिक्रिया देते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने न्यायिक जांच की अपील की बात कही है, उन्होंने कहा है कि सरकार ने इस हिंसा की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं। सीएम ने कहा कि भीमा-कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं सालगिरह पर करीब तीन लाख लोग आए थे, हमने पुलिस की 6 कंपनियां तैनात की थी, कुछ लोगों ने माहौल बिगाड़ने के लिए हिंसा फैलाई है, इस तरह की हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
वहीं मुख्यमंत्री ने कहा कि युवा की मौत मामले में सीआईडी जांच करेगी। साथ ही सीएम फडणवीस ने मृतक युवक के परिजनों को 10 लाख का मुआवजा देने की घोषणा भी की। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सरकार को बदनाम करने की साजिश है और साथ ही अफवाहों पर ध्यान न देने की सभी से अपील की।
Request will be made to SC for judicial inquiry in Koregaon violence matter and CID inquiry will also be conducted on the death of the youth. 10 lakh compensation for victim's kin: Maharashtra CM Devendra Fadnavis pic.twitter.com/UdtDuYcQwN
— ANI (@ANI) January 2, 2018
क्या है पूरा मामला?
न्यूज एजेंसी भाषा की रिपोर्ट के मुताबिक पुणे जिले में भीमा-कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं सालगिरह पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान सोमवार को हुई हिंसा में कम से कम एक व्यक्ति की मौत हो गई। बता दें कि भीमा-कोरेगांव की लड़ाई में ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना ने पेशवा की सेना को हराया था।
दलित नेता इस ब्रिटिश जीत का जश्न मनाते हैं। ऐसा समझा जाता है कि तब अछूत समझे जाने वाले महार समुदाय के सैनिक ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना की ओर से लड़े थे। हालांकि, पुणे में कुछ दक्षिणपंथी समूहों ने इस ‘ब्रिटिश जीत’ का जश्न मनाए जाने का विरोध किया था।
पुलिस ने बताया कि जब लोग गांव में युद्ध स्मारक की ओर बढ़ रहे थे तो सोमवार को दोपहर शिरूर तहसील स्थित भीमा कोरेगांव में पथराव और तोड़फोड़ की घटनाएं हुईं। एक शीर्ष पुलिस अधिकारी ने बताया कि हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हुई है। हालांकि, उसकी पहचान और कैसे उसकी मौत हुई इसका अभी ठीक-ठीक पता नहीं चला है।
हिंसा तब शुरू हुई जब एक स्थानीय समूह और भीड़ के कुछ सदस्यों के बीच स्मारक की ओर जाने के दौरान किसी मुद्दे पर बहस हुई। भीमा कोरेगांव की सुरक्षा के लिए तैनात एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि, ‘‘बहस के बाद पथराव शुरू हुआ। हिंसा के दौरान कुछ वाहनों और पास में स्थित एक मकान को क्षति पहुंचाई गई।’’