सस्ते कर्ज की उम्मीद लगाकर बैठे लोगों को झटका लगा है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। रेपो रेट 6 फीसदी पर और रिवर्स रेपो रेट 5.75 फीसदी पर बरकरार रखा है। RBI की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने बुधवार (6 दिसंबर) को नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं करने का ऐलान किया।
रिजर्व बैंक ने अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति का ऐलान करते हुए रेपो रेट दर में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया है। बैंक ने अपने रिवर्स रेपो रेट को भी अगले दो महीनों के लिए यथास्थिति रखने का ऐलान किया है। फिलहाल रेपो रेट 6 फीसदी और रिवर्स रेपो रेट 5.75 फीसदी रहेगा। जबकि सीआरआर 4 प्रतिशत और एसएलआर 19.5 फीसदी पर कायम रखा गया है।
Policy repo rate under liquidity adjustment facility (LAF) unchanged at 6.0 per cent.Consequently, reverse repo rate under the LAF remains at 5.75 per cent and marginal standing facility (MSF) rate and the Bank Rate at 6.25 per cent: RBI pic.twitter.com/Skcn94RL0O
— ANI (@ANI) December 6, 2017
इसके अलावा केंद्रीय बैंक ने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) ग्रोथ की अनुमानित दर का अपना पिछला अनुमान 6.7 फीसदी ही कायम रखा। रिजर्व बैंक के मुताबिक वित्त वर्ष 2018 में देश की जीडीपी 6.7 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है। रिजर्व बैंक ने तीसरी तिमाही में महंगाई दर 4.3 से 4.7 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है।
क्या होती है रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट?
रेपो रेट वह दर होती है जिसपर बैंकों को रिजर्व बैंक कर्ज देता है। बैंक इस कर्ज से ग्राहकों को लोन मुहैया कराते हैं। रेपो रेट कम होने का सीधा फायदा आम लोगों को होता है क्योंकि बैंक से मिलने वाले तमाम तरह के कर्ज सस्ते हो जाते हैं।इसी तरह रेपो रेट बढ़ने पर ब्याज दरें बढ़ जाती हैं। जबकि रिवर्स रेपो रेट वह दर होती है जिसपर बैंकों को उनकी ओर से रिजर्व बैंक में जमा धन पर ब्याज मिलता है। रिवर्स रेपो रेट बाजारों में नकदी की तरलता को नियंत्रित करने में काम आती है।
सीआरआर और एमएसएफ?
देश में लागू बैंकिंग नियमों के तहत प्रत्येक बैंक को अपनी कुल नकदी का एक निश्चित हिस्सा रिजर्व बैंक के पास रखना ही होता है। इसे कैश रिजर्व रेश्यो (सीआरआर) या नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) कहा जाता है। जबकि रिजर्व बैंक ने पहली बार वित्त वर्ष 2011-12 में सालाना मॉनेटरी पॉलिसी रिव्यू में एमएसएफ का जिक्र किया था। यह 9 मई 2011 को लागू हुआ। इसमें सभी शेड्यूल कमर्शियल बैंक एक रात के लिए अपने कुल जमा का 1 फीसदी तक लोन ले सकते हैं।