उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार (5 दिसंबर) से अंतिम सुनवाई जारी है। इस बीच सुन्नी वक्फ बोर्ड ने 2019 के आम चुनाव के बाद इस मामले की सुनवाई की मांग की। बता दें कि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) जस्टिस दीपक मिश्र, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की विशेष पीठ सुनवाई कर रही है।सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि जब भी मामले की सुनवाई होगी, कोर्ट के बाहर भी इसका गंभीर प्रभाव होगा। इसलिए कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए 15 जुलाई 2019 के बाद इस मामले की सुनवाई करें। सिब्बल ने कहा कि 2019 के आम चुनाव में इस मसले को उठाया जा सकता है।
Ayodhya Dispute: Kapil Sibal told SC that whenever this matter is heard,there are serious repercussions outside court and to preserve the decorum of law and order,and that he personally requests court to take this matter up on July 15, 2019, once all the pleadings are complete
— ANI (@ANI) December 5, 2017
वहीं इस पर केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि सरकार मामले की रोजाना सुनवाई के पक्ष में है। सुन्नी बोर्ड के दूसरे वकील राजीव धवन ने कहा कि अगर मामले की रोज सुनवाई हो तो सुनवाई पूरी होने में एक साल लगेंगे। इसके अलावा सुनवाई के दौरान सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल और राजीव धवन ने अन्य के साथ मामले की सुनवाई के लिए कम से कम 7 जजों की बेंच की मांग की।
सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि इस मामले की जब भी सुनवाई होती है तो कोर्ट के बाहर कानून-व्यवस्था बनाए रखने की चुनौती होती है। उन्होंने कोर्ट से व्यक्तिगत रूप से अनुरोध किया कि एक बार जब सारी दलीलें पूरी हो जाएं तो इस मामले को 15 जुलाई 2019 को सुना जाए।
सुनवाई के दौरान सबसे पहले शिया वक्फ बोर्ड की तरफ से दलीलें पेश की गईं। शिया बोर्ड के वकील ने विवादित स्थल पर मंदिर बनाए जाने का समर्थन किया। दूसरी तरफ शिया वक्फ बोर्ड की इस दलील का सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कड़ा विरोध किया। अब इस मामले की अगली सुनवाई 8 फरवरी 2018 को होगी।
Supreme Court fixed the Ayodhya dispute matter for further hearing on February 8, 2018 pic.twitter.com/4VWIEpd4as
— ANI (@ANI) December 5, 2017
हजारों पन्नों के अदालती दस्तावेजों का अंग्रेजी में अनुवाद न होने के कारण शीर्ष अदालत ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले पर पांच दिसंबर से सुनवाई करने का फैसला किया था। अनुवाद अब पूरा हो चुका है। अदालत ने सभी पक्षकारों को हिंदी, पाली, उर्दू, अरबी, पारसी, संस्कृत आदि सात भाषाओं के अदालती दस्तावेजों का 12 हफ्ते में अंग्रेजी में अनुवाद करने का निर्देश दिया था।
11 अगस्त को 3 जजों की स्पेशल बेंच ने इस मामले की सुनवाई की थी। सुप्रीम कोर्ट में 7 साल बाद अयोध्या मामले की सुनवाई हुई थी। सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल और राजीव धवन होंगे, जबकि रामलला का पक्ष हरीश साल्वे रखेंगे। बता दें कि हाई कोर्ट ने 2010 में अपने फैसले में अयोध्या में 2.77 एकड़ के इस विवादित स्थल को इस विवाद के तीनों पक्षकार सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और भगवान राम लला के बीच बांटने का आदेश दिया था।
हालांकि इस फैसले से दोनों ही पक्ष सहमत नहीं थे जिसके बाद दोनों पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई 2011 को इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए मामले की सुनवाई करने की बात कही थी। सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था।