उत्तर प्रदेश के गत विधानसभा चुनाव की तरह नगर निकाय चुनावों में भी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने जोरदार जीत हासिल की है। नगर निगम, नगर पालिका परिषद और नगर पंचायतों में भाजपा को रिकॉर्ड सफलता मिली है। विधानसभा चुनाव के आठ माह बाद हुए प्रदेश के निकाय चुनाव में 16 नगर निगमों में भाजपा ने 14 पर कब्जा जमाया है। बता दें कि प्रदेश के 16 नगर निगमों, 198 नगर पालिकाओं और 438 नगर पंचायतों के लिये तीन चरणों में गत 22, 26 और 29 नवंबर को कुल करीब 52.5 प्रतिशत मतदान हुआ था।नगर निगमों के अलावा नगर पालिका और नगर पंचायतों में भी भाजपा की ही बढ़त है। इनमें भाजपा के बाद सर्वाधिक सीटें सपा ने हासिल की है। तीसरे नंबर पर बसपा है। सबसे पीछे रही कांग्रेस अपने उपाध्यक्ष राहुल गांधी के गढ़ अमेठी में भी पिट गई। हालांकि गोरखपुर के वॉर्ड नंबर 68 से बीजेपी उम्मीदवार माया त्रिपाठी चुनाव हार गई हैं। यहां से निर्दलीय उम्मीदवार नादिर ने जीत दर्ज की है। बता दें कि इसी वॉर्ड में प्रसिद्ध गोरखनाथ मंदिर स्थित है।
वहीं बीएसपी ने इस चुनाव में अपने प्रदर्शन से सबको चौंका दिया है। बीएसपी ने अलीगढ़ और मेरठ सीट पर शानदार जीत दर्ज कर यूपी में मायावती ने यूपी में अपनी वापसी के संकेत दे दिए हैं। इस चुनाव में सबसे बड़ा झटका समाजवादी पार्टी (एसपी) और कांग्रेस को लगा है। नगर निगम की सीटों पर सपा और कांग्रेस का खाता भी नहीं खुल पाया है।गौरतलब है कि पहली बार नगरीय निकाय चुनाव में सभी पार्टियों ने अपने चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ा है।
इन चुनावों को वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले जनता का मन टटोलने के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। खासकर यूपी में सत्तारूढ़ बीजेपी के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ था। इस चुनाव को लेकर बीजेपी की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने करीब तीन दर्जन जनसभाओं को संबोधित किया।
संभवतः ऐसा पहली बार है जब किसी मुख्यमंत्री ने नगरीय निकाय चुनाव में प्रचार किया है। वैसे, पूर्व में भी नगरीय निकायों में बीजेपी का ही दबदबा रहा है। वर्ष 2012 में हुए नगरीय निकाय चुनाव में प्रदेश के 12 में से 10 नगर निगमों में बीजेपी के ही मेयर चुने गए थे। प्रदेश के नगरीय निकायों के लिए पिछली 22, 26 और 29 नवंबर को मतदान हुआ था।