उत्तर प्रदेश नगरीय निकाय चुनाव की प्रक्रिया पूरी होते ही योगी सरकार ने प्रदेशवासियों को महंगी बिजली का झटका दिया है। जी हां, यूपी में बिजली उपभोक्ताओं को अब ज्यादा बिल देना होगा। राज्य विद्युत नियामक आयोग ने गुरुवार (30 नवंबर) को नई दरों का ऐलान किया। फैसला नगर निकाय चुनावों के एक दिन बाद आया है और विपक्ष इस बढोत्तरी को तानाशाहीपूर्ण कदम बता रहा है। घरेलू उपभोक्ताओं के लिए औसत बढोत्तरी 12 फीसदी होगी और नई दरें जल्द लागू होंगी।
न्यूज एजेंसी भाषा की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष एस के अग्रवाल ने संवाददाताओं को बताया कि शहरी घरेलू बिजली उपभोक्ताओं के लिए बिजली की दरें नौ फीसदी तक बढ़ाई गयी हैं। जिन ग्रामीण उपभोक्ताओं ने मीटर लगा रखा है, उन्हें 100 यूनिट तक तीन रूपये प्रति यूनिट और उसके बाद साढे चार रूपये प्रति यूनिट के हिसाब से भुगतान करना होगा।
प्रदेश के उर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा कि बिजली विभाग की ओर से प्रस्ताव था कि घाटे को कैसे पूरा किया जाए, बहुत मामूली वृद्धि हुई है। चुनाव से पहले जारी बीजेपी के संकल्प पत्र में कहा गया था कि पहली 100 यूनिट तीन रूपये प्रति यूनिट की दर से दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि धीरे-धीरे घाटे की भरपायी हो और हम चोरी पर भी सख्ती से कार्रवाई कर रहे हैं। अधिकारियों की जवाबदेही तय की गयी है। शर्मा ने कहा कि विरोधियों का दुष्प्रचार गलत है और तथ्यों से परे है जिन्होंने मीटर नहीं लगा रखे हैं, हम चाहते हैं कि वे मीटर लगायें।
प्रमुख सचिव (ऊर्जा) एवं अध्यक्ष उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन आलोक कुमार ने कहा, ‘नयी बिजली दरों में ग्रामीण क्षेत्र के उपभोक्ताओं को पहली सौ यूनिट तीन रूपये प्रति यूनिट की दर से भुगतान करना होगा। इसी प्रकार ऐसे गरीब शहरी परिवार जो सौ यूनिट तक बिजली उपभोग करते हैं उनकी भी बिजली दर तीन रूपये प्रति यूनिट होगी।’
उन्होंने बताया कि जो ग्रामीण उपभोक्ता हर महीने सौ यूनिट तक उपभोग करते हैं, उन्हें लागू दरों के तहत तीन रूपये 68 पैसे प्रति यूनिट देना होगा। इसमें बिजली शुल्क शामिल है यानी ग्रामीण उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट लगभग तीन रूपये आठ पैसे की सब्सिडी उपलब्ध होगी।
कुमार ने कहा कि नयी बिजली दरों का मुख्य उद्देश्य मीटरिंग को बढ़ावा देना है ताकि छोटे उपभोक्ताओं पर अनावश्यक फिक्स्ड टैरिफ का बोझ न पडे़ और बिजली के उपभोग में किफायत भी आये। उदाहरण के लिए यदि एक ग्रामीण घरेलू उपभोक्ता एक माह में तीस यूनिट का बिजली उपभोग करता है तो नई दरों के अनुसार उसका मासिक बिल मात्र 140 रूपये आएगा, जबकि फिक्सड टैरिफ के अन्तर्गत उसके ऊपर इससे लगभग ढाई गुना का बिल ज्यादा पड़ता।
कुमार ने बताया कि कृषि उपयोग के लिए प्रति यूनिट मात्र एक रूपये 10 पैसे ही टैरिफ लगेगा अर्थात किसानों को प्रति यूनिट पांच रूपये 65 पैसे की सब्सिडी उपलब्ध होगी। वहीं, सपा प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने बढोत्तरी को आम जनता के साथ विश्वासघात करार देते हुए कहा कि पहले ही लोग महंगाई की मार झेल रहे हैं, अब बिजली के दाम बढाकर बीजेपी सरकार ने सबकी कमर तोड़ दी है।
कांग्रेस प्रवक्ता अमरनाथ अग्रवाल ने कहा कि अगर जनता के बारे में सोचा होता तो ये बढोत्तरी नहीं होती। अगर आपका कदम उचित था तो सप्ताह भर पहले दाम बढा देते लेकिन नगर निकाय चुनावों के कारण ऐसा नहीं किया गया। यह एक तानाशाहीपूर्ण कदम है। बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने कहा कि पिछली सरकार ने विधानसभा चुनाव के मद्देनजर दरें संशोधित नहीं की, इसलिए मौजूदा सरकार को ऐसा करना पड़ रहा है।