दो बार की ओलंपियन भारत की स्टार एयर पिस्टल शूटर हिना सिद्धू ने फिल्मों से पहले सिनेमा हॉलों में राष्ट्रगान के अपमान पर नाराजगी जाहिर की है। कॉमनवेल्थ शूटिंग चैंपियनशिप में 10 मीटर एयर पिस्टल शूटिंग इवेंट का गोल्ड मेडल जीतने वाली सिद्धू का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रगान फिल्मों से पहले अनिवार्य कर दिया। इससे शरारती तत्वों को इसका अपमान करने का मौका मिल गया। राष्ट्रगान को फिल्मों से पहले नहीं बजाना चाहिए, लोग वहां मनोरंजन के लिए आते हैं। कॉमनवेल्थ गेम्स की गोल्ड मेडलिस्ट हिना सिद्धू ने ट्विटर पर लिखा है कि, ‘राष्ट्रगान के दौरान खड़े ना होने का तो यही मतलब हुआ कि आप पॉपकॉर्न खा सकते हैं, आपस में चिट-चैट कर सकते हैं और फोन तेज आवाज में बात कर सकते हैं। अक्सर मैं खुद को स्पोर्ट्सपर्सन के रूप में खुशकिस्मत मानती हूं। हम ऐसा सोच भी नहीं सकते हैं। बिना राष्ट्रगान सुने के मेडल जीतना आधा भी अच्छा नहीं लगता।’
No need to stand up for National Anthem means you can carry on eating your pop-corns, chit-chatting, talking loudly on your phone while its playing. Sometimes I feel so blessed 2 b a sportsperson…We cant even imagine this! Getting a medal wouldnt be half as gud without d Anthem
— Heena SIDHU (@HeenaSidhu10) November 25, 2017
इसके अलावा उन्होंने न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रगान फिल्मों से पहले अनिवार्य कर दिया। इससे शरारती तत्वों को इसका अपमान करने का मौका मिल गया। राष्ट्रगान को फिल्मों से पहले नहीं बजाना चाहिए, लोग वहां मनोरंजन के लिए आते हैं। बता दें कि पिछले कुछ दिनों से राष्ट्रगान के दौरान खड़े होने को लेकर काफी विवाद सामने आए हैं।
First SC said National Anthem will be played before movies, then it made standing for it optional. It gives rogue elements chance to openly disrespect it. It mustn't be played before movies, people come there for entertainment: Heena Sidhu, shooter on her tweet on National Anthem pic.twitter.com/cziEcYgjAi
— ANI (@ANI) November 25, 2017
आपको याद होगा कि पिछले दिनों सितंबर महीने में असम के शहर गुवाहाटी में राष्ट्रगान बजने के दौरान जब एक मुस्लिम दिव्यांग खड़ा नहीं हो पाया तो लोगों ने उसे ‘पाकिस्तानी’ बताकर गालियां देने लगे। पीड़ित अरमान अली (36) ने आरोप लगाया था कि सिनेमा हॉल में राष्ट्रगान के खत्म होते ही दो लोगों ने उसे गालियां देने लगे और उनमें से एक ने कहा कि, “देखो सामने पाकिस्तानी बैठा है।”
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 30 नवंबर को देश के सभी सिनेमाघरों को आदेश दिया था कि फिल्म का प्रदर्शन शुरू होने से पहले राष्ट्रगान बजाया जाए और दर्शकों को इसके प्रति सम्मान में खड़ा होना चाहिए। लेकिन बाद में शीर्ष अदालत ने साफ किया था कि दिव्यांग लोगों को खड़े होने की जरूरत नही है।
‘देशभक्ति साबित करने के लिए सिनेमाघरों में राष्ट्रगान के समय खड़ा होना जरूरी नहीं’
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल पिछले महीने 23 अक्टूबर को कहा कि देशभक्ति साबित करने के लिए सिनेमाघरों में राष्ट्रगान के समय खड़ा होना जरूरी नहीं हैं। न्यायालय ने इसके साथ ही केंद्र सरकार से कहा कि सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाने को नियंत्रित करने के लिए नियमों में संशोधन पर विचार किया जाए। साथ ही शीर्ष अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि यदि कोई व्यक्ति राष्ट्रगान के लिये खडा नहीं होता है तो ऐसा नहीं माना जा सकता कि वह कम देशभक्त है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि लोग सिनेमाघरों में मनोरंजन के लिये जाते हैं। समाज को मनोरंजन की आवश्यकता है। हम आपको (सरकार) हमारे कंधे पर रखकर बंदूक चलाने की अनुमति नहीं दे सकते। लोगों को अपनी देशभक्ति साबित करने के लिये सिनेमाघरों में राष्ट्रगान के समय खड़े होने की आवश्यकता नहीं है। पीठ ने कहा कि अपेक्षा करना एक बात है लेकिन इसे अनिवार्य बनाना एकदम अलग बात है।