प्रधाननंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के तहत देश को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) बनाने के लिए केंद्र के साथ-साथ राज्य सरकारें भी हर संभव कदम उठा रही है। इस बीच इस अभियान को लेकर नीतीश कुमार सरकार ने एक ऐसा अजीबो-गरीब फरमान जारी किया है, जिसे लेकर नया विवाद शुरू हो गया है।PHOTO: The Indian Express
दरअसल, बिहार में नीतीश सरकार द्वारा शिक्षकों के लिए एक नया फरमान जारी किया गया है, जिसके मुताबिक अब राज्य के टीचरों को छात्रों को पढ़ाने के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों में खुले में शौच करने वालों पर भी निगरानी रखनी पड़ेगी। इतना ही नहीं ऐसा करने वालों के साथ उन्हें सेल्फी भी लेने के निर्देश दिए गए हैं।
इस फरमान को लेकर टीचरों में भारी रोष फैल गया है। बिहार टीचर एसोसिएशन ने इस फरमान का यह कहते हुए विरोध किया है कि यह टीचरों का अपमान है। न्यूज एजेंसी ANI की रिपोर्ट के मुताबिक ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर (बीईओ) की तरफ से हाईस्कूल के शिक्षकों के लिए यह फरमान जारी हुआ है।
#Bihar: Block Education Officer orders High School teachers to keep an eye on open defecation at 5 am & 4 pm, click selfie with defaulters. Principals appointed as supervisor.
— ANI (@ANI) November 21, 2017
इसके तहत शिक्षकों को निर्देश दिया गया है कि वे सुबह पांच बजे और शाम चार बजे रोजाना खुले में शौच जाने वाले लोगों पर निगरानी रखेंगे। ऐसा करने वाले लोगों के साथ सेल्फी लेकर सीनियर अधिकारियों को भेजेंगे। इतना ही नहीं नीतीश सरकार ने बोर्ड ऑफ एजुकेशन की ओर से जारी इस आदेश का समर्थन किया है।
न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में बोर्ड के इस फैसले का समर्थन करते हुए राज्य के शिक्षा मंत्री केएन प्रसाद वर्मा ने कहा कि इस फैसले पर बेवजह विवाद खड़ा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग की ने इस सोच के साथ यह फैसला लिया कि शिक्षकों को समाज में सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है, इसलिए अगर वह लोगों को जागरूक करेंगे तो उनकी बात पर अमल होगा।
There's unnecessary controversy. Teachers are respected in society. Dept thought if they make people aware, they'll be heard & followed. They weren't asked to set aside teaching for it: #Bihar on order stating teachers to keep tab on open defecation defaulters pic.twitter.com/AjOB62FJB3
— ANI (@ANI) November 22, 2017
दरअसल, बिहार के औरंगाबाद जिला प्रशासन ने देव ब्लॉक की पवई पंचायत को 31 दिसंबर 2017 तक खुले में शौच मुक्त पंचायत बनाने का लक्ष्य तय किया है। इस काम में लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए 61 प्राइमरी और माध्यमिक स्कूलों के करीब 144 शिक्षकों को अभियान में शामिल किया था। वहीं मुजफ्फरनगर में कुंडी ब्लॉक प्रशासन ने इस काम में 144 टीचरों को नियुक्त किया है।
प्रशासन ने यह भी फैसला किया कि जो लोग समझाने के बाद भी खुले में शौच करने से बाज नहीं आते हैं, उनकी फोटोग्राफी कराई जाए। ये मुहिम 18 नवंबर में शुरू की गई। बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ (बीएमएसएस) जनरल सेक्रेटरी और पूर्व सांसद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मांग की है इस आदेश को वापस लिया जाए।