‘जनता का रिपोर्टर’ द्वारा राफेल लड़ाकू विमानों के सौदे को लेकर किए गए खुलासे के बाद राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गया है। कांग्रेस इस सौदे को लेकर मोदी सरकार को लगातार कठघरे में खड़ा कर रही है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने ‘जनता का रिपोर्टर’ की खबरों का हवाला देते हुए शनिवार (18 नवंबर) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर एक बार फिर जोरदार हमला बोला है। कांग्रेस उपाध्यक्ष ने पेरिस में राफेल सौदे को लेकर शनिवार को ट्वीट कर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण से 3 तीखे सवाल पूछे हैं।
राहुल गांधी ने रक्षा मंत्री पर तंज कसते हुए कहा कि यह कितना शर्मनाक है कि आपके बॉस (पीएम नरेंद्र मोदी) आपको खामोश कर रहे हैं। राहुल ने रक्षा मंत्री से पहला सवाल पूछा कि- कृपया हमें हर राफेल विमान की सहीं कीमत बताएं? उन्होंने दूसरा सवाल पूछा है कि क्या प्रधानमंत्री मोदी ने पेरिस में राफेल विमान खरीदने की घोषणा से पहले कैबिनेट कमिटी ऑफ सिक्योरिटी (CCS) की अनुमति ली थी? जबकि राहुल गांधी ने तीसरे सवाल में राफेल डील के लिए अनुभवी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को बाइपास करने पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस उपाध्यक्ष ने पूछा कि क्यों पीएम ने अनुभवी HAL को बाइपास करते हुए यह डील AA रेटेड व्यापारी को दी, जिनके पास कोई रक्षा अनुभव (डिफेंस एक्सपीरियंस) नहीं है।
Dear RM, what’s shameful is your boss silencing you. Please tell us :
1. Final price of each Rafale jet?
2. Did PM take CCS permission before announcing purchase in Paris?
3. Why PM bypassed experienced HAL & gave the deal to AA rated businessman with no defence experience?— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 18, 2017
वहीं, शनिवार को राहुल गांधी द्वारा रक्षा मंत्री से सवाल पूछने के बाद ट्विटर पर एक बार फिर मोदी सरकार लोगों के निशाने पर आ गई है। ट्विटर पर हैशटैग #RakshaMantriJawabDo ट्रेंड कर रहा है। इस हैशटैग के जरिए लोग रक्षा मंत्री से राहुल गांधी के सवालों का जवाब मांग रहे हैं।
इससे पहले भी साधा था निशाना
आपको बता दें कि इससे पहले भी कांग्रेस उपाध्यक्ष ने गुरुवार (16 नवंबर) को ‘जनता का रिपोर्टर’ की खबर को शेयर करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जोरदार हमला बोला था। कांग्रेस उपाध्यक्ष ने मंगलवार को ‘जनता का रिपोर्टर’ के खबर को शेयर करते हुए ट्वीट कर लिखा, ‘मोदी जी- अच्छा है सूट तो आपने उतार दिया, लेकिन लूट का क्या?’
Modi ji – nice touch removing the suit. What about the loot?https://t.co/4rGsBtNJ2D
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 16, 2017
इसके साथ ही कांग्रेस उपाध्यक्ष ने रिलायंस से भी इस मामले में जवाब मांगा था। उन्होंने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए ट्वीट में रिलायंस का नाम लेकर कहा कि वह ‘मेक इन इंडिया’ का जरूरी हिस्सा है।
Self "Reliance" is obviously a critical aspect of "Make in India."
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 16, 2017
वहीं, मीडिया पर भी सवाल उठाते हुए राहुल गांधी ने मीडियाकर्मियों से पूछा कि आप (पत्रकार) मुझसे सवाल पूछते हैं मैं ठीक से जवाब देता हूं। आप पीएम से राफेल डील के बारे में क्यों नहीं पूछते? सिर्फ एक बिजनसमैन के लिए उन्होंने पूरी डील बदल दी थी। आप अमित शाह के बेटे के बारे में क्यों नहीं पूछते? यह सवाल मैं आपसे पूछता हूं।
You ask me so many questions & I answer you properly, why don't you ask the PM about Rafale deal? He changed the whole deal for benefit of one businessman. Why don't you ask questions about Amit Shah's son? These are the questions I wanted to ask you: Rahul Gandhi pic.twitter.com/p5S3nPMecR
— ANI (@ANI) November 16, 2017
रक्षा मंत्री ने मोदी सरकार का किया बचाव
शुक्रवार (17 नवंबर) को रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने आरोपों को शर्मनाक बताते हुए राफेल लड़ाकू विमानों के सौदे का बचाव किया। सीतारमण ने कहा कि 36 राफेल लड़ाकू विमान की खरीद संबंधी सौदे से जुड़े आरोप ‘‘शर्मनाक’’ हैं और ऐसी कलह सशस्त्र बलों के लिए नुकसानदायक है।
सीतारमण ने संवाददाताओं को बताया कि, ‘‘यह आरोप शर्मनाक हैं…इस सौदे को पारदर्शी प्रक्रिया का पालन करते हुये अंतिम रूप दिया गया।’’ रक्षा मंत्री ने कहा कि इस सौदे को लेकर कलह सशस्त्र बलों के लिए नुकसानदायक होगी। उन्होंने कहा कि वायुसेना की फौरी जरूरत ही इस करार को करने की अहम वजह थी।
उन्होंने कहा कि 36 राफेल विमानों के लिये अंतिम करार पर सितंबर 2016 में दस्तखत किये गये। इससे पहले भारत और फ्रांस के बीच पांच दौर की लंबी चर्चा हुई और इसे सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने भी मंजूरी दी थी। रक्षा मंत्री ने कहा कि यूपीए सरकार विमान खरीदने के प्रस्ताव पर 10 साल तक चुप्पी साधे बैठी रही।
‘जनता का रिपोर्टर’ के खुलासे के बाद कठघरे में मोदी सरकार
आपको बता दें कि ‘जनता का रिपोर्टर’ ने लड़ाकू विमानों के समझौते को लेकर बड़ा खुलासा किया है कि मोदी सरकार ने अपने कुछ करीबी उद्योगपतियों (अनिल अंबानी) को फायदा पहुंचाने के लिए यूपीए सरकार के दौरान किए गए 126 विमानों के समझौते की प्रक्रिया को रद्द कर ऊंचे दामों पर 36 लड़ाकू विमानों का सौदा किया।
दरअसल, राफेल की शुरुआती डील यूपीए सरकार के समय में आगे बढ़ी थी। जिसमें भारत व फ्रांस की कंपनी देसाल्त एविएशन के साथ 126 राफेल क्राफ्ट का सौदा हुआ। जिसमें से भारत को 18 क्राफ्ट बने बनाए खरीदने थे और बाकी बचे हुए क्राफ्ट बनाने के लिए कंपनी को वह तकनीक भारत को देनी थी। यह क्राफ्ट भारत की सरकारी पीएसयू हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को बनाने थे।
लेकिन पीएम मोदी ने सत्ता में आने के बाद न सिर्फ बने हुए क्राफ्ट की तादाद 18 से 36 कर दी, बल्कि बचे हुए क्राफ्ट बनाने की जिम्मेदारी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) से लेकर एक निजी कंपनी रिलायंस डिफेंस लिमिटेड को सौंप दी गई, जिसके मालिक अनिल अंबानी हैं। इसके अलावा हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स के साथ फ्रांसीसी कंपनी की डील भी रद्द कर दी गई।
मंगलवार (14 नवंबर) को ‘जनता का रिपोर्टर’ द्वारा किए गए इस खुलासे के बाद आनन-फानन में प्रेस कॉन्फेंस कर मोदी सरकार से कई तीखे सवाल पूछे। ‘जनता का रिपोर्टर’ का हवाला देते हुए कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि राफेल डील पर मोदी सरकार ने ‘राष्ट्रीय हित और राष्ट्रीय सुरक्षा’ के साथ खिलवाड़ किया है।
कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने राफेल एयरक्राफ्ट खरीद में मोदी सरकार पर घोटाले का आरोप लगाते हुए कहा कि राफेल खरीद में कोई पारदर्शिता नहीं है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ‘क्रोनी कैपिटलिज्म’ (सरकारी सांठगांठ वाले पूंजीवाद) को बढ़ावा देकर राष्ट्रीय और सुरक्षा हितों से समझौता किया है। सुरजेवाला ने सौदे में सांठगांठ वाले पूंजीवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया।
कांग्रेस प्रवक्ता सुरजेवाला ने संवाददाताओं को संबोधित करते हुए सरकार से सवाल किया कि वह यूपीए सरकार के दौरान बातचीत के जरिये तय मूल्य से कहीं अधिक मूल्य पर विमान खरीदकर एक व्यापार समूह के हितों को आगे क्यों बढ़ा रहे हैं। उन्होंने इस सौदे में रक्षा खरीद प्रक्रिया तथा हिन्दुस्तान एयरनोटिक्स लि. के हितों की अनदेखी करने का आरोप लगाया।
सुरजेवाला ने कहा कि यूपीए शासनकाल में 12 दिसंबर, 2012 को राफेल से 10.2 अरब अमेरिकी डॉलर (तब के 54 हजार करोड़ रुपये) में 126 लड़ाकू विमान खरीदने का फैसला लिया गया था। इनमें से 18 विमान को तैयार स्थिति में और 108 को भारत में ही हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा तकनीक हस्तांतरण के साथ निर्मित किया जाना था।
लेकिन, मोदी सरकार ने 30 जुलाई, 2015 को यह सौदा रद कर दिया और अगले ही साल 23 सितंबर 2016 को 8.7 अरब अमेरिकी डॉलर में 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने का सौदा किया। बाद में अनिल अंबानी की रिलांयस डिफेंस लिमिटेड ने राफेल की निर्माता कंपनी दासौत एविएशन के साथ भारत में रक्षा उत्पादन के लिए संयुक्त उपक्रम समझौता कर लिया।
कांग्रेस नेता ने दावा किया कि यूपीए काल में किए गए सौदे में हर विमान का मूल्य 526.10 करोड़ आता, लेकिन अब (मोदी सरकार में) हर विमान का मूल्य 1570.80 करोड़ रुपये आएगा। इससे सरकारी खजाने को काफी बड़ा नुकसान होगा। यही नहीं, फ्रेंच विमान निर्माता कंपनी ने तकनीक हस्तांतरण (ट्रांसफर ऑफ टेक्नॉली) से भी इनकार कर दिया और एचएएल के स्थान पर रिलायंस डिफेंस के साथ समझौता कर लिया।
कांग्रेस नेता ने प्रधानमंत्री मोदी से कई सवाल किये। उन्होंने पूछा कि विमान को ऊंचे दाम पर क्यों खरीदा जा रहा है तथा एक निजी प्रतिष्ठान के व्यापारिक हितों को एक सार्वजनिक निकाय की अनदेखी कर क्यों बढ़ाया जा रहा है। सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि सरकार द्वारा 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद में पूरी तरह अपारदर्शी रखा गया, रक्षा खरीद प्रक्रिया के अनिवार्य प्रावधानों का प्रत्यक्ष उल्लंघन हुआ।