इस्लामोफोबिया का डर दुनियाभर में देखा जाता है, अब हमारे देश में भी इसी आधार पर भेदभाव देखने को मिल रहा है। जिसका ताजा नमूना राजधानी दिल्ली के एक अनाथालय में देखने को मिला है, जहां एक मुस्लिम महिला को नौकरी के लिए केवल इसलिए अयोग्य घोषित कर दिया गया क्योंकि वह हिजाब पहनती है। अनाथालय को देखने वाले एनजीओ का कहना है कि एक किलोमीटर की दूरी से ही कोई बता दे कि आप मुस्लिम महिला हो।
Photo-Indian Expressजी हां, इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में शुमार टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेज (TISS) की एक छात्रा को दिल्ली के एक एनजीओ ‘दिल्ली ऑर्फेनेज’ ने नौकरी देने से इनकार कर दिया। मना करने के पीछे तर्क ये दिया गया है कि छात्रा को एक किलोमीटर दूर से देखकर भी कोई ये बता देगा कि वे एक मुस्लिम महिला हैं।
पीड़िता छात्रा का नाम निदाल ज़ोया (27) है जो बिहार की राजधानी पटना से ताल्लुक रखती है। रिपोर्ट के अनुसार नौकरी की जानकारी मिलने के बाद ज़ोया ने अपना रेज़्यूमे एनजीओ को मेल किया। जिसके जवाब में एनजीओ के सीईओ हरीश वर्मा ने रेज़्यूमे स्वीकार करते हुए निदाल को प्रोजेक्ट प्रपोज़ल भेजने को कहा। जिसके बाद जोया ने ठीक वैसा ही किया। हरीश वर्मा ने अपने ई-मेल के जवाब में जोया के इंग्लिश से प्रभावित होकर उनकी तारीफ भी की।
लेकिन बाद में हरीश ने लिखा कि उनका एनजीओ रिलिजन फ्री होगा, जिसकी वजह से वे चाहते हैं कि बाकी धर्म के लोग उसमें ज़रूर आएं और अपनी योग्यता साबित करें। साथ ही हरीश वर्मा ने लिखा कि आपके (जोया) पहनावे की वजह से कोई एक किलोमीटर दूर से भी बता देगा कि आप एक मुस्लिम महिला हैं।
जिसके जवाब में निदाल ने हरीश वर्मा से पूछा कि इस रिलिजन फ्री अनाथालय में एडिमिशन पाने वाली लड़कियों को पूजा करने या नमाज़ पढ़ने की इजाज़त होगी या नहीं? इसके जवाब में हरीश ने लिखा कि इससे उन्हें सदमा लगा है कि जोया की प्राथमिकता रूढ़िवादी इस्लाम है ना कि इंसानियत। वे आगे लिखते हैं कि वे अपने अनाथालय में किसी तरह की धार्मिक गतिविधी नहीं होने देंगे।
जोया, जो पहले से ही हिजाब के कारण बहिष्कार का सामना कर चुकी है उसने लिखा कि वह एक मुसलमान महिला है इसलिए अपने सिर को ढकने के लिए वह हिजाब पहनती है, क्योंकि यह मेरी प्राथमिकता है। इस मामले में आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा कि अगर हमारे पास शिकायत आती है तो हम कार्रवाई करेंगे। उन्होंने कहा कि संविधान में सबको बराबर का हक दिया गया है। कोई भी व्यक्ति धर्म या लिंग के आधार पर किसी को नौकरी देने से इनकार नहीं कर सकता।