ताजमहल गुलामी की निशानी, इसे गिरा देना चाहिए, योगी सरकार निर्णय लें मैं साथ दूंगा: आजम खान

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उत्तर प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद ताजमहल को भी राजनीति में शामिल कर लिया गया है। भारत की इस ऐतिहासिक धरोहर में यूपी सरकार का विश्वास शायद अब नहीं रहा है इसलिए ताजमहल को योगी सरकार ने टूरिस्ट गंतव्यों की सूची तक में नहीं रखा जबकि दुनियाभर में ताजमहल को अजूबा माना जाता है जिसे देखने दुनियाभर के लोग भारत में दौड़े चले आते है। जानकारों का मानना है कि यह बीजेपी सरकार की दूर की कोड़ी है जिसका फायदा 2019 के चुनावों में देखने को मिलेगा।

लेकिन फिलहाल समाजवादी पार्टी के नेता आजम खां ने सरकार को योगी सरकार को सुझाव दिया है कि यदी वह इस गुलामी के प्रतीक ताजमहल को ध्वस्त करने का निर्णय ले तो मैं उनका साथ दूंगा। आपको बता दे कि पूर्व में योगी सरकार द्वारा ताजमहल को तरजीह न देने पर सोशल मीडिया पर बड़ा बवाल मचा था। मुगलों की इस बेहतरीन कला के नमूने और मोहब्बत की निशानी को राष्ट्रवादी सरकार के समर्थकों ने गुलामी का प्रतीक मान लिया था जिसका पुष्टि अब उत्तर प्रदेश की सरकार ताजमहल की अनेदखी कर प्रमाण के तौर पर कर रही है।

उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग के बुकलेट से ताजमहल नदारद है। इस पर एसपी नेता आजम खान ने कहा, ‘यह अच्छी पहल है कि बुकलेट से ताजमहल गायब है। कुतुब मीनार, लाल किला, संसद भवन ये सब गुलामी की निशानियां हैं।’अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि एक जमाने में ताजमहल को गिराने की बात चली थी। ताजमहल को गिराना चाहिए। योगी जी इस तरह का निर्णय लेंगे, तो हमारा उन्हें सहयोग रहेगा।

मंगलवार को अपने आवास पर पत्रकारों से कहा कि पर्यटन विभाग की पुस्तिका से ताज महल को हटाए जाने के फैसले का हम स्वागत करते हैं, लेकिन यह फैसला बहुत देर से हुआ और अधूरा है। ताजमहल, कुतुबमीनार, दिल्ली का लाल किला, आगरा का किला, संसद भवन और राष्ट्रपति भवन गुलामी की निशानी हैं। ये चीजें रहनी ही नहीं चाहिए। मुगल हमारे भी पूर्वज नहीं हैं। कहां से आए थे मुगल। इतिहास को पढ़ने से मालूम होता है।

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