राष्ट्रगान बजने के दौरान जब एक मुस्लिम दिव्यांग खड़ा नहीं हो पाया तो लोगों ने उसे ‘पाकिस्तानी’ बताकर गालियां देने लगे। यह मामला असम के शहर गुवाहाटी का है, जिस शख्स के साथ ऐसा दुर्व्यवहार हुआ है उनका नाम अरमान अली (36) है। पीड़ित अरमान ने आरोप लगाया है कि शुक्रवार(29 सितंबर) को सिनेमा हॉल में राष्ट्रगान के खत्म होते ही दो लोगों ने उसे गालियां देने लगे और उनमें से एक ने कहा, “देखो सामने पाकिस्तानी बैठा है।”
Photo: ANIबता दें कि पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म से पहले राष्ट्रगान बजाने को अनिवार्य किया। साथ ही सबको खड़े होने के लिए भी कहा गया था। लेकिन बाद में शीर्ष अदालत ने साफ किया था कि दिव्यांग लोगों को खड़े होने की जरूरत नही है। न्यूज एजेंसी ANI से बात करते हुए अरमान ने कहा कि वह इस घटना के बारे में भारत के चीफ जस्टिस को लिखने पर विचार कर रहे हैं।
Guwahati: Wheelchair-bound Director of NGO for differently-abled says he was abused for not standing up for national anthem in a multiplex pic.twitter.com/vH46FdpVES
— ANI (@ANI) October 2, 2017
I don't think SC would've thought of situation like this. I'll write to Chief Justice about this incident & plight of ppl like me: Arman Ali pic.twitter.com/lMJT0yW2G2
— ANI (@ANI) October 2, 2017
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, अरमान ने इस घटना के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि जब मैंने पीछे मुड़कर देखा तो उनके चेहरे पर बेहद संतुष्टि के भाव थे। उन्होंने बताया कि किसी के लिए भी पाकिस्तानी शब्द का इस्तेमाल कर देना कितना आसान है, जबकि आप जानते भी नहीं कि वो ‘पाकिस्तानी’ अपने पैरों पर खड़ा भी हो सकता है या नहीं। शायद उनकी देशभक्ति मेरे राष्ट्रगान के दौरान खड़े न होने पर कमेंट करके पूरी हो गई होगी।”
जानकारी के लिए आपको बता दें कि अरमान शिशु सरोथी नाम के एक संगठन में एक्जक्यूटिव डायरेक्टर के पद पर हैं। ये संगठन दिव्यांगों के अधिकारों के लिए काम करता है। अरमान ने आगे कहा कि ये वो हैं जहां हमारा समाज आज आ खड़ा हुआ है। अरमान इस मामले में भारत के मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र लिखने पर विचार कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने दिव्यांगों को दिया था छूट
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 30 नवंबर को देश के सभी सिनेमाघरों को आदेश दिया था कि फिल्म का प्रदर्शन शुरू होने से पहले राष्ट्रगान बजाया जाए और दर्शकों को इसके प्रति सम्मान में खड़ा होना चाहिए। न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर यह आदेश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने इसने अनेक निर्देश देते हुए कहा था कि अब समय आ गया है जब नागरिकों को यह अहसास होना चाहिए कि वे एक राष्ट्र में रह रहे हैं और राष्ट्रगान के प्रति सम्मान दर्शाना उनका कर्तव्य है जो हमारी सांविधानिक राष्ट्रभक्ति और बुनियादी राष्ट्रीय उत्कृष्टता का प्रतीक है।
हालांकि इसी साल एक याचिका पर शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि किसी फिल्म, वृत्त चित्र या समाचार फिल्म की कहानी के हिस्से के रूप में राष्ट्रगान बजने के दौरान दर्शकों को खड़ा होने की जरूरत नहीं है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सिनेमाघरों में फिल्म की स्क्रीनिंग से पहले राष्ट्रगान बजने के दौरान दिव्यांगों को खड़े होने से छूट दिया था।