एक पुरानी फिल्म में दिखाया गया था कि सरकार आंकड़े जारी करते हुए कहती है कि हमने इस सेक्टर में बहुत अधिक लाभ कमा लिया है तब नायक कहता है कि क्या अब सरकार भी मुनाफाखोर हो गई है। लोगों को सुविधाओं के नाम पर लगातार अपने मुनाफे को बढ़ाने वाला दिल्ली मेट्रो रेल निगम (DMRC) इसी राह है। दिल्ली मेट्रो के अफसर और नीति बनाने वाले नहीं समझते है कि आम आदमी की जेब पर इतना अधिक बढ़ा हुआ किराया कितना असर डालता है।
चार महीने पहले किराए में काफी बड़ा इजाफा करने वाली दिल्ली मेट्रो अब फिर से आम आदमी की जेब पर असर डालने वाली है। एक अक्तूबर से मेट्रो का अधिकतम किराया बढ़ा कर 60 रुपए किया जाने वाला है।
एक अक्तूबर से न्यूनतम किराया तो 10 रुपए ही रहेगा, लेकिन 15 रुपए के बजाय दूसरा स्लैब सीधे 20 रुपए कर दिया जाएगा। इसके अलावा 30, 40, 50 रुपए और अधिकतम किराया 60 रुपए कर दिया गया है।
मेट्रो प्रवक्ता ने कहा कि किराया बढ़ने के बाद यात्रियों की संख्या में करीब दो से तीन फीसद गिरावट देखी गई है, लेकिन यह गिरावट नाममात्र की है।
पिछले दिनों इस प्रकार के बढ़े हुए किराये को लेकर काफी रोष देखा गया था। लेकिन इन बढ़े हुए किराए के लिए कहीं से कोई मांग नहीं उठी थी। कुछ छात्रों ने कुछ दिनों तक के कार्यालय पर अपना विरोध जरूर दर्ज कराया जिसका पर कुछ असर नहीं पड़ा और किराया बढ़ाने के चार महीने के अंदर ही दूसरी बार फिर से छोटे सफर की भी कीमतें बढ़ा दी गई हैं।
दिल्ली मेट्रो रेल निगम (DMRC) जनता है कि इस सेक्टर में विरोध करने के लिए न कोई समिती है न संस्था। लोग रोजाना सफर करते है और अपने घरों को निकल जाते है इसी बात का फायदा उठाकर दिल्ली मेट्रो रेल निगम (DMRC) लगातार किराया बढ़ाता जा रहा है।