तमिलनाडु के तिरुवल्लूर, मदुरई सहित उसके आसपास के जिलों से ‘देवदासी’ जैसी प्रथा के नाम पर एक हैरान करने वाली खबर आई है। यहां परंपरा के नाम पर लड़कियों को मंदिर में हर साल टॉपलेस (निर्वस्त्र) कर करीब 15 दिनों तक रखा जाता है। यह खबर मीडिया में आने के बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश की सरकारों और पुलिस प्रमुखों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है।
The New Indian Expressन्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, आयोग ने लड़कियों व महिलाओं को जबरन मंदिरों में रखने वाली अमानवीय परंपरा को प्रतिबंधित ‘देवदासी’ प्रथा के समान बताया है। आयोग ने सोमवार (26 सितंबर) को कहा कि लड़कियों और महिलाओं को ‘अर्पण’ के लिए देवी मथाम्मा के मंदिरों में ले जाया जाता है। आयोग ने कहा कि ‘देवदासी’ जैसी प्रथा का आज भी जारी रहना समाज के लिए चिंताजनक है।
आयोग का कहना है कि ‘रीति-रिवाज के नाम पर, कथित रूप से लड़कियों को दुल्हन की तरह तैयार किया जाता है। एक बार अनुष्ठान खत्म होने पर पांच लड़के उनके वस्त्र उतारते हैं। वास्तव में वे उन्हें निर्वस्त्र कर देते हैं। उन्हें अपने परिवारों के साथ रहने नहीं दिया जाता है। शिक्षा ग्रहण करने की इजाजत नहीं होती है। उन्हें मथाम्मा मंदिर में रहने के लिए मजबूर किया जाता है। एक तरह से सार्वजनिक संपत्ति समझा जाता है।’
मानवाधिकार आयोग कहा है कि यदि आरोप सही हैं तो ये मानवाधिकारों का उल्लंघन है। आयोग के अनुसार, ‘यह परंपरा स्पष्ट रूप से देवदासी प्रथा का एक और रूप है, जो तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों में आज भी प्रचलित है।’ बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दिसंबर 2015 में सभी राज्यों को महिलाओं के मान-सम्मान के खिलाफ घृणित प्रथाओं में लिप्त लोगों पर कड़ी कार्रवाई करने के आदेश दिए थे।