सोमवार(11 सितंबर) को सुप्रीम कोर्ट ने रियल एस्टेट कंपनी जेपी इन्फ्राटेक को झटका देते हुए उसे 27 अक्टूबर तक न्यायालय में 2,000 करोड़ रुपये जमा कराने का निर्देश दिया। साथ ही जेपी इन्फ्राटेक और एसोसिएटस के प्रंबंध निदेशक या निदेशक सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के बिना देश छोडकर नहीं जा सकेंगे।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने एनसीएलटी द्वारा गठित संस्था अंतरिम रेजॉलुशन प्रफेशनल्स(आईआरपी) को जेपी इन्फ्राटेक के प्रबंधन की जिम्मेदारी लेने को कहा। साथ ही, उसने आईआरपी को फ्लैट खरीददारों और देनदारों के हितों की रक्षा के लिए 45 दिनों के भीतर एक सामाधान योजना सौंपने का निर्देश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम इस मामले में खरीदारों को लेकर चिंतित हैं। खरीदार मध्यम वर्ग से हैं, ऐसे में हमारी चिंता उनके लिए हैं न कि कंपनियों के लिए। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से कहा गया कि दिवाली प्रक्रिया पर रोक लगाने ने कंपनी को हो फायदा हुआ है, मामले की अगली सुनवाई 13 नवंबर को होगी।
जेपी समूह की बिल्डर कंपनी जेपी इन्फ्राटेक को लेकर आईडीबीआई बैंक की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई। बैंक ने सुप्रीम कोर्ट में जेपी समूह की बिल्डर कंपनी जेपी इन्फ्राटेक को दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट की रोक के आदेश पर संशोधन की मांग की है।
बता दें कि, जेपी इन्फ्राटेक सड़क निर्माण और रियल एस्टेट बिजनस की बड़ी कंपनी है। ख़बरों के मुताबिक, अभी इस कंपनी पर करीब 8,000 करोड़ रुपये का कर्ज है। इसमें अकेले आईडीबीआई बैंक का करीब 526 करोड़ रुपया है।