उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिला संयुक्त अस्पताल में एक महीने के दौरान 49 नवजात बच्चों की मौत के मामले में प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने सोमवार(4 सितंबर) को कड़ी कार्रवाई करते हुए जिलाधिकारी, मुख्य चिकित्साधिकारी तथा जिला महिला अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक का तबादला कर दिया।
FILE PHOTO: HTवहीं, जिला प्रशासन द्वारा कराई गई जांच में ऑक्सीजन की कमी तथा इलाज में लापरवाही बरतने के आरोप में रविवार रात शहर कोतवाली में नगर मजिस्ट्रेट जयनेंद्र कुमार जैन की तहरीर पर मुख्य चिकित्साधिकारी तथा मुख्य चिकित्सा अधीक्षक एवं अन्य के खिलाफ मामला भी दर्ज किया गया है।
इस बीच, राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि घटना को गम्भीरता से लेते हुए राज्य सरकार ने फर्रुखाबाद के जिलाधिकारी, मुख्य चिकित्साधिकारी तथा जिला महिला चिकित्सालय की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक को स्थानांतरित करने के निर्देश दिए हैं।
उन्होंने बताया कि इस साल 20 जुलाई से 21 अगस्त के बीच जिला महिला चिकित्सालय फर्रुखाबाद में 49 नवजात शिशुओं की मृत्यु हुई, जिनमें 19 पैदा होते ही मर गए। मीडिया में खबर आने के बाद जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार ने मुख्य चिकित्साधिकारी उमाकांत पाण्डेय की अध्यक्षता में समिति बनाकर जांच करायी।
#Farrukhabad CMO&CMS transferred; case had been registered against them in connection with 49 children's death in RML Rajkiya Chikitsalay
— ANI UP (@ANINewsUP) September 4, 2017
समिति के निष्कर्षों से संतुष्ट न होने के बाद जिलाधिकारी ने मजिस्ट्रेट जांच करायी थी, जिसके आधार पर आरोपी चिकित्साधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है। इस मामले में मामला दर्ज कराने वाले नगर मजिस्ट्रेट जयनेन्द्र जैन द्वारा दी गयी।
तहरीर के मुताबिक मुख्य चिकित्साधिकारी और मुख्य चिकित्सा अधीक्षक द्वारा दी गयी 30 मृत बच्चों की सूची में से ज्यादातर की मौत का कारण पैरीनेटल एस्फिक्सिया बताया गया है। तहरीर के मुताबिक मृत शिशुओं के परिजनों ने जांच अधिकारी को फोन पर बताया था कि डॉक्टरों ने बच्चों को समय पर ऑक्सीजन नहीं लगायी और न ही कोई दवा दी, जिससे स्पष्ट है कि अधिकतर शिशुओं की मृत्यु पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन न मिलने के कारण हुई।
ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति नहीं होने पर शिशुओं की मौत की सम्भावना के बारे में अन्य डॉक्टरों को भी जानकारी रही होगी। प्रवक्ता के अनुसार स्वास्थ्य महानिदेशक ने कहा कि पैरीनेटल एस्फिक्सिया के कई कारण हो सकते हैं। मुख्यत: प्लेसेंटल रक्त प्रवाह की रुकावट भी हो सकती है। सही कारण तकनीकी जांच के माध्यम से ही स्पष्ट हो सकता है।
प्रवक्ता ने कहा कि शासन स्तर से टीम भेजकर जांच कराने के निर्देश दिए गए हैं ताकि बच्चों की मृत्यु के वास्तविक कारणों का पता लगाया जा सके। इस बीच, र्फुखाबाद से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार के निर्देश पर नगर मजिस्ट्रेट जयनेन्द्र कुमार जैन तथा उपजिलाधिकारी सदर अजीत कुमार सिंह ने मौके पर जाकर पूरे घटनाक्रम की जानकारी की। जांच में पाया गया कि आक्सीजन न मिल पाने और इलाज में लापरवाही के कारण बच्चों की मौत हुई थी।
नगर मजिस्ट्रेट ने कल शहर कोतवाली में दी गयी तहरीर में कहा कि जिलाधिकारी ने फर्रुखाबाद के डॉक्टर राम मनोहर लोहिया संयुक्त जिला अस्पताल के एनआईसीयू में पिछले छह माह में भर्ती हुए शिशुओं में से मृत बच्चों का विवरण उपलब्ध कराने के निर्देश दिये थे, लेकिन मुख्य चिकित्साधिकारी तथा मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने आदेशों की अवहेलना करते हुए समुचित सूचना उपलब्ध नहीं करायी।
तहरीर के मुताबिक जिलाधिकारी ने पिछली 30 अगस्त को जुलाई-अगस्त में 49 बच्चों की मौत के सम्बन्ध में भी एक टीम गठित कर प्रत्येक बच्चे की मौत के कारण सहित शिशुवार रिपोर्ट तीन दिन के अंदर देने को कहा था। इस टीम में भी मुख्य चिकित्साधिकारी और मुख्य चिकित्सा अधीक्षक शामिल थे। एक बार फिर आदेश का अनुपालन न करते हुए अपूर्ण तथा भ्रामक रिपोर्ट पेश की गयी।
जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार ने बताया कि जांच रिपोर्ट के आधार पर कल शाम नगर मजिस्ट्रेट ने जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी तथा मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के विरुद्ध धारा 304 (गैर इरादतन हत्या), 176 (जानकारी छिपाने) तथा 188 (आदेश की अवहेलना) के तहत शहर कोतवाली में मामला दर्ज कराया है।
बता दें कि यह घटना ऐसे वक्त सामने आयी है, जब गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में गत 10-11 अगस्त को संदिग्ध रूप से ऑक्सीजन की कमी की वजह से कम से कम 30 बच्चों की मौत का मामला गरमाया हुआ है। इस प्रकरण में मेडिकल कॉलेज के तत्कालीन प्रिंसिपल राजीव मिश्र समेत नौ लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।