देश के राष्ट्रीयकृत बैंक और ग्रामीण बैंक आज(22 अगस्त) देशव्यापाी हड़ताल पर रहेंगे, इसलिए आज दिनभर बैंकों में कोई काम-काज नहीं हो सकेगा। जी हां, 10 लाख बैंक कर्मचारी और नौ बैंकों के यूनियन के अधिकारी आज एक दिन की हड़ताल पर जाएंगे। नेशनल ऑर्गनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स के उपाध्यक्ष अश्विनी राणे ने सोमवार(21 अगस्त) को इसकी पुष्टि की।
photo: Livemintबैंकों के मर्जर के खिलाफ और कुछ अन्य मांगों के समर्थन में यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) के तत्वावधान में सभी बैंक यूनियनों ने 22 अगस्त को हड़ताल का आह्वान किया है। हालांकि, निजी क्षेत्र के आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक, एक्सिस और कोटक महिंद्रा बैंक में कामकाज सामान्य रहने की संभावना है। इन बैंकों में चेक क्लियरेंस में देरी हो सकती है।
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) 9 यूनियनों का प्रमुख निकाय है। इसके तहत ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कनफेडरेशन (एआईबीओसी), ऑल इंडिया बैंक एंप्लॉयी असोसिएशन (एआईबीईए) और नेशनल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स (एनओबीडब्ल्यू) आती हैं।
एआईबीओसी के महासचिव डी टी फ्रैंको ने कहा, ‘मुख्य श्रम आयुक्त के साथ सुलह सफाई बैठक विफल रही है। अब यूनियनों के पास हड़ताल पर जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। सरकार और बैंकों के प्रबंधन की ओर से कोई आश्वासन नहीं मिला है।’
उन्होंने कहा कि यूनियनों की मांगों पर समाधान के सभी प्रयास विफल हो गए हैं। ऐसे में अब यूएफबीयू ने 22 अगस्त को हड़ताल पर जाने का फैसला किया है। एआईबीईए के महासचिव सी एच वेंकटचलम ने कहा, ‘हमारी मांगों में गैर निष्पादित आस्तियों को बट्टा खाते में नहीं डालना, जानबूझकर कर न चुकाने को आपराधिक अपराध घोषित करना और एनपीए की वसूली के लिए संसदीय समिति की सिफारिशों को लागू करना शामिल है।’
उन्होंने यह भी कहा कि बैंकों को कॉर्पोरेटएनपीए का बोझ शुल्क बढ़ाकर ग्राहकों पर नहीं डालना चाहिए। वेंकटचलम ने कहा कि सरकार को बैंक बोर्ड ब्यूरो को समाप्त करना चाहिए। यूएफबीयू का दावा है कि उसके सदस्यों की संख्या 10 लाख है। बैंकिंग क्षेत्र के कुल कारोबार का 75 प्रतिशत 21 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के हिस्से आता है।


















