हाल ही में समाप्त हुए गुजरात राज्यसभा चुनाव में खरीद फरोख्त के आरोपों के बीच चुनाव आयोग में राजनीतिक पार्टियों को आईना दिखाया है। राजनीतिक पार्टियों द्वारा हर हाल में जीत हासिल करने की होड़ को देखते हुए चुनाव आयोग ने इस पर चिंता जाहिर करते हुए नाराजगी जाहिर की है।मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने गुरुवार(17 अगस्त) को एक कॉन्फ्रेंस में नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि राजनीतिक पार्टियां चुनाव जीतने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार रहती हैं। रावत ने कहा कि लोकतंत्र तब फलता-फूलता है जब चुनाव पारदर्शी, निष्पक्ष और मुक्त हों।
लेकिन ऐसा लगता है कि छिन्द्रान्वेषी आम आदमी सबसे ज्यादा जोर इस बात पर देता है कि उसे हर हाल में जीत हासिल करनी है और खुद को नैतिक आग्रहों से मुक्त रखता है। चुनाव आयुक्त ने कहा कि इसमें विधायकों-सांसदों की खरीद-फरोख्त को स्मार्ट पोलिटिकल मैनेजमैंट माना जाता है, पैसे और सत्ता के दुरुपयोग इत्यादि को संसाधन माना जाता है।
ओपी रावत ने राजनीतिक दलों के हिदायत देते हुए कहा कि लोकतंत्र तभी कामयाब है जब चुनावों में निष्पक्ष और पारदर्शी को अहमियत दी जाए। उन्होंने कहा कि ये गलत है कि नैतिकता को तार-तार करके चुनाव जीतने के लिए हर कीमत अदा की जाती है।
राजनीतिक दलों पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि चुनाव जीतने वाले ने कोई पाप नहीं किया होता, क्योंकि चुनाव जीतते ही उसके सारे पाप धुल जाते हैं। राजनीति में अब ये सामान्य स्वभाव बन गया है। जिन लोगों को भी बेहतर चुनाव और बेहतर कल की उम्मीद है उन्हें राजनीतिक दलों, राजनेताओं, मीडिया, सिविल सोसाइटी, संवैधानिक संस्थाओं के लिए एक अनुकरणीय व्यवहार का मानदंड तय करना चाहिए।
चुनाव आयुक्त के इस बयान को हाल ही में हुए गुजरात राज्यसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। जहां, कांग्रेस ने दावा किया था कि बीजेपी ने आठ अगस्त को राज्यसभा की तीन सीटों के लिए गुजरात में होने वाले चुनाव के दौरान क्रॉस-वोटिंग के लिए उसके 22 विधायकों को 15 करोड़ रुपये की पेशकश कर ‘खरीदने’ की कोशिश की।