79 मां के ‘कान्हा’ हमेशा के लिए छिन गए, लेकिन योगी सरकार ने पुलिस को दिया ‘भव्यता’ के साथ जन्माष्टमी मनाने का आदेश

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यक्षेत्र गोरखपुर की बदहाल व्यवस्था को दर्शाने वाली घटना के सामने आने के बाद देश भर में हड़कंप मच गया है। बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से 48 घंटे के दौरान 33 और पिछले छह दिनों में 79 मासूमों की मौत ने सबको झकझोर दिया है। इस हादसे से पूरा देश सदमे में है। यह घटना देसी-विदेशी मीडिया सहित सोशल मीडिया पर भी छाया हुआ है।

इस बीच योगी सरकार ने आदेश दिया है कि 14 अगस्त को भगवान श्री कृष्ण जन्माष्टमी को पूरे भव्य तरीके से मनाया जाए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नाथ द्वारा जारी निर्देश में कहा गया है कि श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर पुलिस विभाग में आयोजित होने वाले कार्यक्रम को भव्यता के साथ पूरी शालीनता बरतते हुए मनाया जाए।

साथ ही इस आदेश में कहा गया है कि इस वर्ष इसका आयोजन भली-भांति भारतीय संस्कृति के अनुसार किया जाए। योगी सरकार द्वारा जारी इस आदेश के बाद राज्य के पुलिस महानिदेशक सुलखान सिंह ने सभी पुलिस अधिक्षकों, पुलिस अधिक्षक रेलवे(उत्तर प्रदेश) और पीएसी यूपी के सभी सेना नायकों को निर्देश दिया हैं।

इस आदेश में कहा गया है कि पिछले कुछ समय से ऐसे आयोजन बाधित कर दिए गए थे। सरकार द्वारा जारी लेटर में कहा गया है कि जन्माष्टमी के महत्वपूर्ण पर्व है और इसका आयोजन भली-भांति भारतीय संस्कृति के अनुरूप भव्यता और हर्षोंल्लास के साथ किया जाए। योगी सरकार द्वारा 13 अगस्त को यह पत्र जारी किया गया है, जबकि गोरखपुर का यह हादसा 11 अगस्त को सामने आया था।

सपा ने की निंदा

योगी सरकार के इस आदेश पर समाजवादी पार्टी(सपा) के प्रवक्ता कीर्ति निधी पाण्डेय ने ‘जनता का रिपोर्टर’ से बातचीत में कहा कि ये बेशर्म सरकार है। उन्होंने कहा कि अपनी कमी को छिपाने के लिए सरकार ने यह आदेश दिए हैं। सपा प्रवक्ता ने कहा कि योगी सरकार को जश्न नहीं, शोक मानना चाहिए लेकिन ये सरकार बेशर्म है। उन्होंने कहा कि जब राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बिना पोस्टमार्टम के एलान कर दिए कि बच्चों की मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई है तो आप ऐसी सरकार से और क्या उम्मीद कर सकते हैं।

जन्माष्टमी से पहले हमेशा-हमेशा के लिए छिन गया मेरा कान्हा

दरअसल, लोगों का कहना है कि गोरखपुर में जो 79 मासूमों की मौत हुई है, वह भी किसी के कान्हा ही थे। आज एक तरफ घर-घर में कान्हा जन्म लेंगे। बधाइयां बजेगी। वहीं, दूसरी तरफ देवरिया के भिखारी यादव का ‘कान्हा जन्माष्टमी से ठीक पहले हमेशा-हमेशा के लिए छिन गया।

‘हिंदुस्तान’ की रिपोर्ट के मुताबिक, रविवार की दोपहर में भिखारी की आंख डबडबाई हुई थी। गोद में बेटे की लाश थी। मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने उसे पिछले गेट से बाहर कर दिया था। बिलखते भिखारी के पांव आगे नहीं बढ़ पा रहे थे। आगे-आगे उनकी मां थी जो बिलख रही थीं…‘जन्माष्टमी से पहले मेरा कान्हा हमेशा-हमेशा के लिए दूर चला गया।

अखबार के मुताबिक, देवरिया जिले के भाटपार रानी निवासी भिखारी का चार वर्षीय बेटा सुमित 8 दिन पहले बीआरडी मेडिकल कालेज के इंसेफेलाइटिस वार्ड में भर्ती हुआ था। 10 और 11 अगस्त की काली रात को अगल-बगल के बेड पर भर्ती मासूम दम तोड़ रहे थे तो भिखारी एम्बुबैग से बेटे का सांस देने में कामयाब रहे। रविवार की सुबह अचानक सुमित की सांसें उखड़ने लगीं।

करीब 10 बजे उसका शरीर ठंडा पड़ गया। कुछ देर तक भिखारी यकीन नहीं कर पाए थे कि मुश्किल घड़ी को पार करने के बाद भी उनके कलेजे का टुकड़ा अब इस दुनिया में नहीं रहा। सुमित की मौत के चंद मिनटों बाद ही कॉलेज प्रशासन ने कागजी औपचारिकताएं पूरी कर भिखारी को पिछले गेट से बाहर जाने का फरमान सुना दिया।

गोद में बेटे की लाश लिए वह लड़खड़ाते कदमों से बाहर निकले तो उनकी मां ने पूछा, ‘बाबू डिस्चार्ज हो गईल। सब ठीक बा ना। भिखारी ने जवाब में सिर्फ इतना कहा…चल माई, कुछ नाही बचल। भिखारी ने कहा कि घर पर बच्चे जन्माष्टमी की तैयारी कर रहे थे। बार-बार यही कह रहे थे…बाबू ठीक हो जाएगा। घर आएगा तो खूब दुलार करेंगे। वह बिलख पड़े, बच्चों को कैसे बताएं कि अब झांकी नहीं सजेगी।

 

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