गोरखपुर हादसे में मानवता की मिसाल बनकर उभरे डॉ. कफील अहमद, अपनी कार में ढोए 12 सिलेंडर

0

मुख्यमंत्री योगी के कार्यक्षेत्र गोरखपुर की बदहाल व्यवस्था को दर्शाने वाली घटना के सामने आने से हड़कम्प मच गया है। बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में 48 घंटे के दौरान 36 मासूमों की मौत ने सबको झकझोर दिया है। लेकिन सरकार और प्रशासन अपनी किसी भी कमी और लापरवाही की बात से पल्ला झाड़ लिया है और मेडिकल कालेज के प्राचार्य को निलंबित कर अपनी जवाबदेही को दिखाया है। इस सारी घटना के दौरान डॉक्टर कफील अहमद का नाम भी उभरकर सामने आया है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में जब बच्चे ऑक्सीजन की कमी से दम तोड़ रहे थे, तो वहां कुछ डॉक्टर्स ऐसे भी थे जो उन्हें बचाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक रहे थे। इन्हीं डॉक्टर्स की फेहरिस्त में एक नाम कफील अहमद का है। जो बच्चों को बचाने के लिए सारी रात जूझते रहे।

गुरुवार रात के दो बज रहे थे। इंसेफेलाइटिस वार्ड के कर्मचारियों ने प्रभारी व बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. कफील अहमद को सूचना दी कि अगले एक घंटे बाद ऑक्सीजन खत्म हो जाएगी। इस सूचना के बाद ही डॉक्टर की नींद उड़ गई। वह अपने कार से मित्र डॉक्टर के अस्पताल गए और वहां से ऑक्सीजन का तीन जंबो सिलेंडर लेकर शुक्रवार के तीन बजे सीधे बीआरडी पहुंचे। तीन सिलेंडरों से बालरोग विभाग में करीब 15 मिनट ऑक्सीजन सप्लाई हो सकी।

डॉक्टर कफील अहमद ने शहर के आधा दर्जन ऑक्सीजन सप्लायरों को फिर फोन लगाया तब एक सप्लायर ने नकद भुगतान मिलने पर सिलेंडर रिफिल करने को तैयार हो गया तब डॉ कफील ने तुरंत एक कर्मचारी को अपना एटीएम कार्ड देकर रूपये निकालने भेजा और ऑक्सीजन की व्यावस्था की। डॉ. कफील अहमद को इस काम के लिए सोशल मीडिया में काफी सराहना की जा रही है।

आपको बता दे कि तीन दिन पहले ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यहां का दौरा किया था। लेकिन मीडिया जब आज वहां पहुंचा तो देखा कि अस्पताल के डाक्टरों ने नवजात को ज़मीन पर बाहर लेटा रखा था जबकि परिवार वाले उनसे गुहार लगा रहे थे कि बच्चें को ICU में रख लिजिए। मीडिया में दिखाई गई इस रिपोर्ट ने अस्पताल प्रशासन की पोल खोल दी है।

48 घंटों के बीच हुई इन मौतों की आधिकारिक वजह अभी सामने नहीं आई है लेकिन कहा जा रहा है कि इसके पीछे ऑक्सीजन की कमी एक मुख्य कारण है। इस पूरे मामले में सरकार और प्रशासन ने बचाव का पक्ष अपनाया हुआ है। गोरखपुर के जिलाधिकारी बच्चों की मौत की सही वजह बताने के लिए जांच की रिपोर्ट का इंतजार कर रहे है जबकि यूपी के चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन भी ऑक्सीजन सप्लाई रुकने से मौत से इनकार कर रहे हैं।

Previous articleजदयू ने बागी नेता शरद यादव को राज्यसभा पद से हटाया
Next articleYogi’s astonishing justification: Deaths in August are annual affair