पिछले दिनों में भारत की संसद ने 26 हफ्ते के मातृत्व अवकाश को लेकर एक कानून पास किया है। इस बिल में मां बनने पर महिलाओं को आॅफिस से 26 हफ्ते का अवकाश मिलेगा। इसके बावजूद आज भी कई कंपनियां है जो इस कानून का उल्लंघन कर रही हैं। ताजा मामला राजधानी दिल्ली से सटा उत्तर प्रदेश के नोएडा से आई है, जहां एक महिला कर्मचारी द्वारा छुट्टी मांगने पर कंपनी ने उसे नोकरी से ही निकाल दिया है।
file photoहिंदुस्तान में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, एक गर्भवती महिला ने कंपनी अधिकारियों से मातृत्व अवकाश मांगा तो उसे नौकरी से ही निकाल दिया गया। नोएडा की एक कंपनी में काम करने वाली युक्ता शर्मा माथुर नाम की महिला ने ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी है।
मेनका गांधी से मांगी मदद
युक्ता शर्मा ने ट्वीटर के जरिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास कल्याण मंत्री मेनका गांधी, प्रधानमंत्री कार्यालय, राष्ट्रीय महिला आयोग और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से मदद की गुहार लगाई है। युक्ता ने ट्वीट कर कहा कि उसने गर्भावस्था के दौरान मातृत्व अवकाश के लिए कंपनी से छुट्टी मांगी थी। लेकिन लंबा मातृत्व अवकाश होने की वजह से कंपनी ने उसे नौकरी से निकाल दिया।
Terminatd frm job in pregnancy by Housefull Intl. co. No maternity benefits paid. Pls help @Manekagandhibjp @PMOIndia @NCWIndia @MinistryWCD
— Yukta Sharma Mathur (@YuktaMathur) July 26, 2017
युक्ता के ट्वीट पर मेनका गांधी ने ट्वीटर पर महिला से पूरा ब्योरा मांगा है। मेनका गांधी ने युक्ता के ट्वीट पर संज्ञान लेते हुए ट्वीट कर मदद के लिए महिला से संपर्क नंबर और कंपनी का ब्यौरा मांगा है।
Dear Yukta, please DM your employer's and your contact details.
Do take good care of your health. #HelpMeWCD https://t.co/FCWu2hGeiB— Maneka Sanjay Gandhi (@Manekagandhibjp) July 27, 2017
राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी ट्वीटर के जरिए युक्ता से ब्यौरा उपलब्ध कराने को कहा है। युक्ता के ट्वीट पर सोशल मीडिया पर भी लोगों ने काफी नाराजगी जताई है।
Kindly inbox your contact details
— NCW (@NCWIndia) July 27, 2017
क्या कहता है मातृत्व अवकाश कानून?
बता दें कि इसी साल मार्च महीने संसद से पास हुए मातृत्व लाभ (संशोधन) कानून, 2017 के तहत महिला कर्मचारियों को अब 12 हफ्ते की बजाए 26 हफ्ते का सवैतनिक अवकाश मिलेगा। महिला कर्मचारियों के फायदे के लिए 55 वर्ष पुराने कानून के कुछ प्रावधानों में बदलाव किया गया है।
नए कानून के तहत 50 या ज्यादा कर्मचारियों वाले हरेक संस्थान के लिए निर्धारित दूरी के भीतर क्रेच की सुविधा होना आवश्यक है। नियोक्ता भी एक महिला को दिन में चार बार क्रेच जाने की अनुमति देने के लिए बाध्य होगा। कानून कहता है कि हरेक संस्था को इसके तहत उपलब्ध हर सुविधा के बारे में हरेक महिला को उसकी शुरूआती नियुक्ति के वक्त लिखित और इलेक्ट्रॉनिक रूप से बताना होगा।
नियोक्ता महिला को मातृत्व अवकाश पाने के बाद घर से काम करने की इजाजत दे सकता है। इसमें कहा गया है कि ऐसी स्थिति में जहां महिला को सौंपी गयी कार्य की प्रकृति उस तरह की हो कि वह घर से काम कर सकती है तो नियोक्ता ऐसी अवधि के लिए मातृत्व लाभ हासिल करने के बाद उसे ऐसा करने की अनुमति दे सकता है और ऐसी स्थिति में नियोक्ता और महिला आपसी तालमेल से राजी हो सकते है।
कानून तीन महीने से कम उम्र के बच्चे को गोद लेने और मां बनने (जैविक मां जो अपने अंडाणु को दूसरी महिला में प्रतिरोपित कर बच्चा पैदा करती हैं) वाली महिला को 12 हफ्ते मातृत्व छुट्टी की अनुमति देता है। कानून के तहत 26 हफ्ते की सवैतनिक छुट्टी केवल दो बच्चों के लिए है। दस या ज्यादा लोगों को नौकरी देने वाले सभी प्रतिष्ठानों पर लागू होने वाला कानून कहता है कि दो या ज्यादा बच्चों वाली महिला 12 हफ्ते के मातृत्व अवकाश की हकदार होगी।