दिल्ली हाई कोर्ट ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को निर्देश दिया है कि वह अपने और आम आदमी पार्टी (AAP) के पांच अन्य नेताओं के खिलाफ दर्ज मानहानि के मुकदमे में जिरह के दौरान केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली से ‘अपमानजनक’ सवाल न करें। साथ ही कोर्ट ने जेटली द्वारा दायर मानहानि के दूसरे मामले में जवाब दाखिल नहीं करने पर केजरीवाल पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया है।
जस्टिस मनमोहन ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री को गरिमापूर्ण तरीके से और कानून के अनुसार बीजेपी के वरिष्ठ नेता जेटली से जिरह करनी चाहिए। अदालत ने कहा कि गरिमा बनाए रखनी होगी, क्योंकि जिरह की आड़ में किसी व्यक्ति से अपमानजनक और अभद्र भाषा में बात नहीं होनी चाहिए।
बहरहाल, न्यायालय ने केजरीवाल के खिलाफ कोई आदेश पारित नहीं किया। अदालत ने केजरीवाल की उस दलील पर गौर किया कि उन्होंने वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी को जेटली के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने के निर्देश नहीं दिए थे।
अदालत जेटली की उस अर्जी पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मांग की गई है कि मानहानि के मुकदमे में व्यवस्थित और उचित तरीके से बयान दर्ज कराए जाएं। मानहानि के मुकदमे में केजरीवाल के अलावा राघव चड्ढा, कुमार विश्वास, आशुतोष, संजय सिंह और दीपक वाजपेयी आरोपी बनाए गए हैं।
उन्होंने बीजेपी नेता जेटली पर आरोप लगाए थे कि वर्ष 2000 से 2013 के बीच डीडीसीए के अध्यक्ष पद पर रहते हुए उन्होंने भ्रष्टाचार किया। जेटली ने इन आरोपों से इनकार किया है। कोर्ट ने केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली द्वारा दायर किए गए मानहानि के दूसरे मुकदमे में जवाब न देने के मामले में अरविंद केजरीवाल पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया है।