एमनेस्टी इंटरनेशनल के महासचिव सलील शेट्टी ने भारतीय मीडियाकर्मियों पर लगातार हो रहे हमलों को लेकर चिंता व्यक्त की है। शेट्टी ने आरोप लगाया है कि भारत सरकार स्वतंत्र मीडिया पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश कर रही है।
जर्मनी में ग्लोबल मीडिया फ़ोरम के दौरान ‘जनता का रिपोर्टर’ के ‘एडिटर इन चीफ’ रिफत जावेद से विशेष बातचीत करते हुए शेट्टी ने मीडिया की स्वतंत्रता पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें पता है कि सरकार की आलोचना करने वाले पत्रकारों को राष्ट्र विरोधी के रूप में पेश किया जाता है।
कॉन्फेंस में एक विशेष सत्र के दौरान रिफत ने हस्तक्षेप करते हुए शेट्टी के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ के प्रतिनिधियों का ध्यान भारत में पत्रकारिता की आजादी पर हो रहे हमलों की ओर आकर्षित कराया। उन्होंने कहा कि यह प्रवृत्ति ज़िम्बाब्वे के तानाशाह रॉबर्ट मुगाबे के समान है, जिनके समर्थक अक्सर सरकार के आलोचकों को गैर-देशभक्तों के रूप में पेश करने लिए तत्पर रहते हैं।
लेकिन शेट्टी ने कहा कि पत्रकारों को मोदी सरकार के समर्थकों द्वारा राष्ट्र विरोधी के रूप में पेश किया जाना उनके लिए किसी सम्मान से कम नहीं है।
बता दें कि शेट्टी जिस सम्मेलन के दौरान ‘जनता का रिपोर्टर’ के सवालों का जवाब दे रहे थे, उस सम्मेलन में 100 देशों के 1,900 पत्रकारों ने हिस्सा लिया था। साथ ही यहां यूरोपीय संघ के गोनकालो लोबो जेवियर, संयुक्त राष्ट्र संघ के निक नटल, सलील शेट्टी और मेट्रो समूह के वरिष्ठ उपाध्यक्ष वेरोनिका पोंटेवावा शामिल थे।
बातचीत के दौरान रिफत ने कहा कि भारत में वर्तमान शासन के तहत पत्रकारों की दिक्कत ज़िम्बाब्वे, तुर्की या अरब देशों के कुछ हिस्सों में काम करने वाले मीडियाकर्मियों से अलग नहीं है। जहां, आलोचकों को राष्ट्रविरोधी के रूप में पेश करना सरकार के समर्थकों के लिए एक फैशन बन गया है।
इस पर शेट्टी ने कहा, “क्या आप जानते हैं कि भारत में एमनेस्टी इंटरनेशनल को भी देशद्रोह के आरोपों का सामना करना पड़ा था?”
उन्होंने कहा कि यदि वर्तमान सरकार आप पर हमला कर रही है, तो आपको गर्व होना चाहिए… यदि आपको राष्ट्र विरोधी के रूप में पेश किया जा रहा है, तो इसका मतलब है कि आप अपना काम सही तरीके से कर रहे हैं।
साथ ही शेट्टी ने यह भी कहा कि भारत में बहुत अधिक चुनाव हुए हैं, इससे यह एक धारणा बन गई है कि यह भी एक लोकतंत्र है। उन्होंने कहा कि ‘भारत को ऐसे पेश किया जा रहा है, जैसे वह अत्याधुनिक रूप से दुनिया से आगे बढ़ रहा है।’ उन्होंने कहा कि, मुझे लगता है कि ‘अति राष्ट्रवाद’ का एक युग है।
उन्होंने कहा, “भारत को एक बहुत ही अजीब कहानी के तहत दुनिया में पेश किया जा रहा है। क्योंकि, यहां लंबे समय से चुनाव हुए हैं, किसी तरह लोग सोचते हैं कि यह एक लोकतंत्र हैं। लेकिन जो सुर्खियों से परे देख रहे हैं, वह सच्चाई जानते हैं। आप हर समय सभी लोगों को ‘बेवकूफ़’ नहीं बना सकते हैं, लेकिन हमने आपके द्वारा जो कुछ सुना है, उसके बारे में हम बहुत सचेत हैं।”
बाद में रिफत के साथ एक खास मुलाकात में एमनेस्टी के प्रमुख ने कहा कि मीडिया पर हमले के लिए सिर्फ को बीजेपी को जिम्मेदार ठहराना ठीक नहीं है। उन्होंने कहा, “मेरे पिता एक पत्रकार थे और उन्हें हरियाणा में सिखों पर अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने के लिए गिरफ्तार किया गया था। उस वक्त तो कांग्रेस का शासन था, लेकिन अभी आपके यहां आरएसएस-बीजेपी का शासन है।”
उन्होंने कहा कि इस सरकार में देश का विचार हिंदुत्व का है, राष्ट्रवाद पर उनकी अपनी परिभाषा है, लेकिन इससे भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि मजबूत शहरी मध्यवर्गीय इसका पुरजोर समर्थन करते हैं।
उन्होंने कहा, “हमारा काम नैतिक तरीके से सच्चाई की रिपोर्ट को पेश करना चाहिए। इसका नतीजा यह है कि एनडीटीवी जैसे कुछ शक्तिशाली संस्थानों को भी ये सरकार नहीं बख्श रही है। मुझे लगता है कि हमें अपना काम दबाव के बावजूद करते रहना चाहिए, यही हमारा कर्तव्य है।”
बता दें कि पिछले महीने जर्मनी के सरकारी प्रसारक, डौएचे वेला द्वारा आयोजित ग्लोबल मीडिया फोरम का 10वां संस्करण आयोजित किया गया था। इस विशेष सम्मेलन का उद्देश्य पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा सामना किए जा रहे सभी मुद्दों पर चर्चा करना था।