योगीराज: डॉक्टर और इंजीनियर बेटियों ने संभाली पिता की दाल की दुकान, कहा- दुर्भाग्यपूर्ण है कि हम यूपी के निवासी हैं

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पिछले दिनों यूपी के सीतापुर में 6 जून को सीतापुर के बड़े दाल व्यापारी सुनील जायसवाल की बदमाशों ने उनके घर के सामने ही गोली मारकर हत्या कर दी थी। यही नहीं बदमाशों ने मौके पर पहुंची सुनील की पत्नी कामिनी देवी और बेटे ऋतिक जायसवाल की भी हत्या कर दी थी, इस हत्याकांड को ट्रिपल मर्डर केस के नाम से जाना गया। इसके बाद योगी सरकार की कड़ी निंदा करते हुए सवाल उठाया गया था लेकिन अभी तक भी पुलिस इस मामले में कोई खुलासा नहीं कर सकी है। जबकि जिले में व्यापारियों का विरोध प्रदर्शन लगातार जारी है।

इस हादसे के बाद अब अपने पिता, भाई और मां को खोने वाली इस परिवार की डॉक्टर और इंजीनियर बेटियां शिवानी और ऋचा ने डॉक्टर और इंजीनियर बनने के अपने सपने को छोड़कर पिता की दाल की दुकान संभाल ली है।

परिवार को खोने का दर्द और इंसाफ न मिल पाने की पीड़ा से दोनों बहनों को मानसिक आघात पहुंचा है। अपनी इसी वेदना को शिवानी ने 11 जून फेसबुक से एक पोस्ट लिखकर जाहिर किया है। मुख्यमंत्री कार्यालय, प्रधानमंत्री कार्यालय को टैग करते हुए ये पोस्ट लिखी गई है।

उन्होंने लिखा है कि मेरे और मेरे परिवार के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है कि हम उत्तर प्रदेश के निवासी हैं। जहां अपराध आम बात है। 6 जून को मेरे पूरे परिवार को मार दिया गया, केवल मैं और मेरी बहन ही बचे। अब इस दुख के साथ ही हमें पूरी जिंदगी जीनी है। उस रात मेरे पिता दुकान से घर वापस आ रहे थे। बदमाशों ने उनका पीछा घर तक किया। उसके बाद उन्होंने मेरे निर्दोष माता-पिता और इकलौते भाई की निर्मम हत्या कर दी। मेरे मां और भाई आज जिंदा होते अगर पुलिस ने समय रहते मदद की होती। पुलिस और एंबुलेंस के लिए कई बार ​फोन किए गए लेकिन कोई सहायता नहीं पहुंची।

ऋचा और शिवानी ने अपने सपनों के कॅरियर छोड़कर अब पिता की दाल की दुकान को संभालना शुरू कर दिया है। आपको बता दे कि ऋचा इस समय यूएमएस, सैफई, इटावा से एमबीबीएस कर रही है और फाइनल ​ईयर में है, जबकि शिवानी इसी महीने कमला नेहरू इंस्टीट्यूट आॅफ टेक्नोलॉजी केएनआईटी से बीटेक में ग्रेजुएट हुई है।

मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, इसके अलावा शिवानी और ऋचा ने सीतापुर पुलिस सहित समूची जांच एजेंसियों पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि कई दिन बीत जाने के बाद भी उनको पीएम रिपोर्ट नहीं दी गयी है। कई बार मांगे जाने पर पुलिस अधिकारी देने की बात तो करते हैं मगर देते नहीं।

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