भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार(5 मई) को एक नई उड़ाने भरते हुए श्रीहरिकोटा से साउथ एशिया संचार उपग्रह GSAT-9 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। इस उपग्रह को भारत की ओर से उसके दक्षिण एशियाई पड़ोसी देशों के लिए उपहार माना जा रहा है। बता दें कि जीएसएलवी रॉकेट की यह 11वीं उड़ान है। पीएम मोदी ने ट्वीट कर इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई दी है।
इस उपग्रह से भारत के सात पड़ोसी देशों को संचार और आपदा प्रबंधन में बड़ी मदद मिलेगी। इसके साथ ही जानकार इस उपग्रह के माध्यम से साउथ एशिया में अपना प्रभुत्व स्थापित करने की भारत की कूटनीति के तौर पर भी देख रहे हैं। इस उपग्रह को इसरो का रॉकेट GSAT-9 लेकर जाएगा।
आठ सार्क देशों में से सात देश भारत, श्रीलंका, भूटान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और मालदीव परियोजना का हिस्सा हैं। पाकिस्तान ने यह कहते हुए इससे बाहर रहने का फैसला किया कि उसका अपना अंतरिक्ष कार्यक्रम है।
इस उपग्रह की लागत करीब 235 करोड़ रुपये है और इसका उद्देश्य दक्षिण एशिया क्षेत्र के देशों को संचार और आपदा सहयोग मुहैया कराना है। हालांकि जानकार इसको भारत की ‘स्पेस कूटनीति’ का हिस्सा मान रहे हैं। इसके तहत भारत एशिया में चीन के बढ़ते दबदबे पर लगाम लगाने की कोशिशों के तहत इस अभियान को अंजाम दे रहा है।
बता दें कि मई 2014 में सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो के वैज्ञानिकों से दक्षेस उपग्रह बनाने का आग्रह किया था जो पड़ोसी देशों को ‘भारत की ओर से उपहार’ के तौर पर दिया जा सके। पीएम मोदी ने उपग्रह के सफल लॉन्च के लिए इसरों के वैज्ञानिकों को बधाई दी है।
I congratulate the team of scientists who worked hard for the successful launch of South Asia Satellite. We are very proud of them. @isro
— Narendra Modi (@narendramodi) May 5, 2017
पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा कि सार्क सेटेलाइट लॉन्च होना ऐतिहासिक है। ये नई संभावनाओं के द्वार खोलेगा। सार्क सेटेलाइट से दक्षिण एशिया को काफी फायदा होगा।