दिल्ली के स्कूल में एक छात्रा को सिर्फ इसलिए स्कूल नहीं आने दिया जा रहा क्योंकि उसके साथ कुछ दरिंदों ने रेप की वारदात को अंजाम दिया था। स्कूल को लगता है कि छात्रा के रोजाना स्कूल आने से उनके स्कूल की बदनामी हो सकती है। स्कूल की प्रिंसिपल ने पीड़ित छात्रा के पास किसी को ना बैठने का भी आदेश दिया।
प्रतीकात्मक फोटो
इतना ही नहीं, छात्रा जिस स्कूल बस से वो आती-जाती थी उसमें उसे बैठने से मना कर दिया गया जिसके बाद मजबूरन मां-बाप उसे स्कूल लाने ले जाने लगे। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अब स्कूल ने धमकी दी है कि पीड़िता को तभी कक्षा दसवीं से ग्यारहवीं में जाने देंगे जब वो स्कूल आना बंद कर देगी। स्कूल का कहना है कि रेप पीड़िता के उनके स्कूल में पढ़ने से उनके स्कूल की छवि खराब होती है।
स्कूल प्रशासन परिजनों पर पीड़िता का नाम उनसे स्कूल से कटवाने का लगातार दवाब बना रहा है। स्कूल प्रशासन से परेशान होकर छात्रा के माता-पिता ने दिल्ली महिला आयोग से मामले की शिकायत की है जिसपर तुरंत संज्ञान लेते हुए महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाती जयहिंद ने नोटिस जारी कर सात दिन के भीतर जवाब मांगा है।
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति जयहिंद ने कहा कि यह बहुत गंभीर मामला है। उन्होंने कहा, ‘एक 10वीं क्लास में पढ़ने वाली बच्ची को उस गलती की सजा दी जा रही है जो उसने की ही नहीं है। यह हमारे समाज के लिए बहुत शर्मनाक है।’
अभिभावक ने अपनी शिकायत में लिखा है कि स्कूल ने शर्त रखी है कि रेप पीड़िता को 11वीं में तभी दाखिला मिलेगा, जब वह स्कूल नहीं आएगी। क्योंकि स्कूल को ऐसा लगता है कि उनकी लड़की के रोजाना स्कूल आने से उनके स्कूल की बदनामी हो सकती है।
स्कूल प्रशासन ने दूसरी शर्त यह रखी है कि स्कूल में पीड़िता की सुरक्षा की जिम्मेदारी उनकी नहीं होगी। पीड़ित लड़की के परिवार का कहना है कि उनकी बेटी को तरह-तरह से परेशान किया जा रहा है, ताकि उनकी बेटी स्कूल छोड़ दे।