क्या इस देश में महिलाओं को शांति से जीने का अधिकार नहीं?: SC

0

महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों पर नाराजगी जताते हुए सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने सवाल किया कि क्या इस देश में महिलाओं को शांति से जीने का अधिकार नहीं है? न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली और न्यायमूर्ति एएम खानविलकर तथा न्यायमूर्ति एमएम शांतानागोंदर की पीठ ने एक व्यक्ति की अपील पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की।

याचिकाकर्ता को हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने 16 वर्षीय एक लड़की के साथ कथित तौर पर छेड़छाड़ करने और आत्महत्या जैसा कदम उठाने को मजबूर करने के एक मामले में सात साल की कारावास की सजा सुनाई है। याचिकाकर्ता ने इसी के खिलाफ अपील की।

आरोपी की अपील पर अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि इस देश में क्या महिलाओं को शांति से जीने का अधिकार नहीं है? शीर्ष अदालत ने कहा कि कोई भी व्यक्ति किसी भी महिला पर प्रेम करने के लिए दबाव नहीं बना सकता, क्योंकि महिला की खुद की स्वतंत्र पसंद होती है।

पीठ ने कहा, यह किसी भी महिला की अपनी पसंद है कि वह किसी व्यक्ति से प्रेम करना चाहती है या नहीं। महिला पर कोई भी किसी से प्रेम करने का दबाव नहीं बना सकता। प्रेम की अवधारणा होती है और पुरूषों को यह स्वीकार करना चाहिए।

बहस के दौरान, व्यक्ति की ओर से पेश अधिवक्ता ने लड़की के मृत्युपूर्व बयान पर संदेह जताते हुए कहा कि मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान वह बोलने या लिखने में सक्षम नहीं थी।

अधिवक्ता ने कहा कि चिकित्सकों ने कहा कि वह 80 फीसदी जल चुकी थी और मृत्युपूर्व बयान लिखना उसके लिए संभव नहीं था। वह बोल भी नहीं सकती थी। उसके दोनों हाथ जल चुके थे। वह इस स्थिति में नहीं थी कि कुछ लिख या कह सके।

इस पर पीठ ने व्यक्ति से कहा कि लड़की के मृत्युपूर्व बयान के मुताबिक तुमने ऐसे हालात बना दिए कि उसे आत्महत्या करने पर मजबूर होना पड़ा।

Previous articleअब आप पासपोर्ट के लिए हिंदी में भी कर सकते हैं ऑनलाइन आवेदन
Next articleSonu Nigam records morning Azaan, posts it on Twitter. Users say ‘Masha Aallah’