उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भले ही महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हो, लेकिन अब उनके एक पुराने लेख ने उनकी मुसीबतें बढ़ा दी है। दरअसल, उनका एक ऐसा लेख सामने आया है जिससे उनका महिला विरोधी रवैया सामने आया है। लेख में कहा गया है कि महिलाओं को स्वतंत्रता की नहीं बल्कि संरक्षण की जरूरत है।
फाइल फोटो।इस लेख में योगी आदित्यनाथ लिखते हैं, ‘हमारे शास्त्रों में जहां स्त्री की इतनी महिमा वर्णित की गई है वहां उसकी महत्ता और मर्यादा को देखते हुए उसे सदा संरक्षण देने की बात भी कही गई है। जैसे ऊर्जा को यदि खुला छोड़ दिया जाए तो वो व्यर्थ और विनाशक भी हो सकती है, वैसे ही शक्ति स्वरूपा स्त्री को भी स्वतंत्रता की नहीं, उपयोगी रूप में संरक्षण और चैनलाइजेशन की आवश्यक्ता है। स्त्री की रक्षा बचपन में पिता करता है, यौवन में पति करता है तथा बुढ़ापे में उसकी रक्षा पुत्र करता है। इस प्रकार स्त्री सर्वथा स्वतंत्र या मुक्त छोड़ने योग्य नहीं है।’
योगी आदित्यनाथ का यह लेख साल 2010 में उनके संगठन हिंदू युवा वाहिनी के मुखपत्र ‘हिंदवी’ में छपा था। उस वक्त संसद में महिला आरक्षण बिल पर चर्चा हो रही थी। उस वक्त बीजेपी ने तो विधेयक का समर्थन किया था, लेकिन योगी आदित्यनाथ इसके खिलाफ थे।
अब उनके इस लेख को हथियार बनाकर विपक्ष ने हमला बोलना शुरू कर दिया है। सोमवार(17 अप्रैल) को कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने इस लेख पर योगी आदित्यनाथ से माफी की मांग करते हुए कहा कि जहां एक ओर पीएम मोदी महिलाओं को समानता का हक देने की बात करते हैं, वहीं ये लेख महिलाओं को लेकर बीजेपी की मानसिकता दर्शाता है। उन्होंने कहा कि मोदी और अमित शाह को इस लेख की निंदा करनी चाहिए और अपने नेताओं को ऐसे बयानों से बाज आने के लिए कहना चाहिए।
इस लेख के तूल पकड़ने के बाद ‘हिंदवी’ के पूर्व संपादक प्रदीप राव ने एक अंग्रेजी अखबार को बताया कि जिस वक्त ये लेख छपा उस वक्त योगी आदित्यनाथ इस पत्रिका के मुख्य संपादक थे। उनके मुताबिक योगी की वेबसाइट पर ये लेख कुछ साल पहले अपलोड किया गया था और उनके साथ योगी भी इसमें लिखी गई बातों पर कायम हैं।
सीएम योगी आदित्यनाथ के पूरे लेख को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें:-