उत्तरप्रदेश समेत अलग-अलग राज्यों में अवैध बूचड़खानों के खिलाफ मुहिम शुरू किए जाने के बीच सूचना के अधिकार (आरटीआई) से खुलासा हुआ है कि देश में केवल 1,707 बूचड़खाने खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 के तहत पंजीकृत हैं। सबसे ज्यादा पंजीकृत बूचड़खाने वाले सूबों की फेहरिस्त में क्रमश: तमिलनाडु, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र शीर्ष तीन स्थानों पर हैं, जबकि अरुणाचल प्रदेश और चंडीगढ़ समेत आठ राज्यों में एक भी बूचड़खाना पंजीकृत नहीं है।
फोटो: The Indian Expressमध्यप्रदेश के नीमच निवासी आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने पीटीआई को बताया कि भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने उन्हें ये आंकड़े फूड लायसेंसिंग एंड रजिस्ट्रेशन सिस्टम के जरिए उपलब्ध जानकारी के आधार पर प्रदान किए हैं।
उन्हौंने कहा कि मुझे आरटीआई के तहत मुहैया कराए गए इन आंकड़ों की रोशनी में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश में कितनी बड़ी तादाद में अवैध बूचड़खाने चल रहे हैं। गौड़ की आरटीआई अर्जी पर भेजे जवाब मेें एफएसएसएआई के एक अफसर ने बताया कि अरुणाचल प्रदेश, चंडीगढ़, दादरा व नगर हवेली, दमन व दीव, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा में एक भी बूचड़खाना खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 के तहत पंजीकृत नहीं है।
आरटीआई से मिली जानकारी यह चौंकाने वाला खुलासा भी करती है कि आठों राज्यों में ऐसा एक भी बूचड़खाना नहीं है, जिसने केेंद्रीय या राज्यस्तरीय लायसेंस ले रखा हो। एफएसएसएआई ने आरटीआई के तहत बताया कि तमिलनाडु में 425, मध्यप्रदेश में 262 और महाराष्ट्र में 249 बूचड़खाने खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 के तहत पंजीकृत हैं। यानी देश के कुल 55 फीसद पंजीकृत बूचड़खाने इन्हीं तीन सूबों में चल रहे हैं।