मोदी सरकार में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की ‘राष्ट्रधर्म’ मैगजीन का भविष्य खतरे मे हैं। जी हां, केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्रालय ने ‘राष्ट्रधर्म’ पत्रिका की डायरेक्टेट ऑफ एडवरटाइजिंग एंड विजुअल पब्लिसिटी (डीएवीपी) की मान्यता रद्द कर दी है, जिसके बाद यह मैगजीन केंद्र के विज्ञापनों की सूची से बाहर हो गई है।
फाइल फोटो: साभारबता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ‘राष्ट्र धर्म’ के पहले संपादक थे। इस मासिक पत्रिका का प्रकाशन 1947 में लखनऊ से शुरू हुआ था। मंत्रालय की ओर से 6 अप्रैल को जारी पत्र के मुताबिक देश के कुल 804 पत्र-पत्रिकाओं की डीएवीपी मान्यता रद्द की गई है। इनमें यूपी के 165 समाचार पत्र और पत्रिकाएं शामिल हैं।
केंद्र का कहना है कि जिन 804 पत्र-पत्रिकाओं(जिनमें राष्ट्रधर्म भी शामिल है) की मान्यता रद्द की गई है वे सभी पब्लिकेशन पिछले साल अक्टूबर से डीएवीपी को मंथली कॉपी नहीं दे रहे हैं। बता दें कि यह पहली बार है जब राष्ट्रधर्म पर इस प्रकार की कोई मुसीबत आई हो।
वहीं, ‘राष्ट्र धर्म’ के मौजूदा मैनेजिंग एडिटर ने बताया कि आजादी के समय मैगजीन के 1947 में शुरू होने के बाद कभी भी ऐसा संदेह नहीं जताया गया था। हमने 1947 से लगातार प्रकाशन जारी रखा है। यहां तक कि आपातकाल के दौरान भी, जब सरकार मीडिया के पीछे पड़ी हुई थी।
उन्होंने कहा कि हमारे अंक पिछले साल अक्टूबर के बाद से भी मौजूद हैं। अगर डीएवीपी को किसी वजह से अक्टूबर के बाद हमारी कॉपी नहीं मिली, तो मान्यता रद्द किए जाने से पहले उसे आधिकारिक तौर पर इस बारे में बताना चाहिए था। इस बारे में डीएवीपी को जवाब भेजा जा रहा है।
हालांकि, मैगजीन दावा है कि सरकार से इस संबंध में उन्हें कोई सूचना नहीं मिली है। दिलचस्प बात यह है कि जिस तारीख को डीएवीपी मान्यता रद्द की गई यह तारीख बीजेपी का स्थापना दिवस भी है। इस मैगजीन का उद्देश्य आरएसएस की विचारधारा के जरिए लोगों को राष्ट्र धर्म के प्रति जागरुक करना था।