अलवर मामले पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, राजस्थान सरकार से तीन हफ्ते में मांगा जवाब

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राजस्थान के अलवर में गोरक्षा के नाम पर गोरक्षकों द्वारा गाय ले जाने वालों की पिटाई और एक शख्स की हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार(7 मार्च) को नोटिस जारी कर राजस्थान सरकार से तीन हफ्ते के भीतर जवाब देने को कहा है। साथ ही गोरक्षा के नाम पर बने संगठनों पर प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर दायर एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के अलावा गुजरात, राजस्थान, झारखंड, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक सरकारों को नोटिस जारी कर तीन हफ्ते में जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 3 मई को होगी।

इस बीच, आज(शुक्रवार) एक बार फिर इस मामले को लेकर विपक्ष ने राज्यसभा में हंगामा किया। इस पर केंद्रीय मंत्री और बीजेपी सांसद मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि गृह मंत्री इस पर सोमवार को जवाब देंगे। बता दें कि इस मामले को लेकर एक दिन पहले गुरुवार(6 मार्च) को राज्यसभा में जमकर हंगामा हुआ।

कांग्रेस ने इस मामले में संसद में स्थगन प्रस्ताव दिया है। गुरुवार को नकवी ने ऐसी कोई घटना होने से ही इनकार कर दिया था। सरकार की तरफ से केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने राज्यसभा में कहा कि जिस तरह की घटना पेश की जा रही है, ऐसी कोई घटना जमीन पर नहीं हुई है। जिसके बाद हंगामा शुरू हो गया।

नकवी के बयान का विरोध करते हुए कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि मुझे बहुत अफसोस है कि मंत्रियों को कोई जानकारी नहीं है। यहां तक कि न्यूयॉर्क टाइम्स(अमेरिका का अखबार) भी जानता है, लेकिन मंत्री नहीं जानते।

क्या है पूरा मामला?

राजस्थान के अलवर के बहरोड़ थाना क्षेत्र में कथित गोरक्षकों की भीड़ द्वारा गाय लेकर जा रहे मुस्लिम समुदाय के 15 लोगों पर किए गए हमले में बुरी तरह जख्मी 55 वर्षीय पहलू खान नाम की मौत हो गई। पुलिस ने इस मामले में हत्या का केस दर्ज कर लिया है और तीन लोगों को गिरफ्तार किया है।

दरअसल, मेवात जिले के नूंह तहसील के जयसिंहपुर गांव के रहने वाले पहलू खान एक अप्रैल को अपने दो बेटों और पांच अन्य लोगों के साथ जब गाय खरीदकर लौट रहे थे, तब राजस्थान के बहरोड़ में कथित गोरक्षों ने गो-तस्करी का आरोप लगाकर उन लोगों की जमकर पिटाई की।

भीड़ के हमले में अन्य लोगों के साथ बुरी तरह से पिटाई के शिकार हुए 55 साल के पहलू खान ने सोमवार रात 3 अप्रैल को अस्पताल में दम तोड़ दिया। जबकि बाद में मिले दस्तावेजों से साफ होता है कि उनके पास गाय ले जाने के दस्तावेज भी थे। इन रसीदों में इन लोगों द्वारा जयपुर नगर निगम और दूसरे विभागों को चुकाए गए पैसों की रसीद है, जिसके तहत वे कानूनी रूप से गायों को ले जाने का हक रखते थे।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मारपीट करने वाले लोग हिंदू वादी संगठनों से जुड़े थे। हैरानी की बात ये है कि गोरक्षा के नाम भीड़ कुछ लोगों को मारती रही और पुलिस वहीं खड़ी होकर तमाशा देखती रही। वहीं, राजस्थान के गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया का मानना है कि ‘गोरक्षकों’ ने अच्छा काम किया, लेकिन लोगों की पिटाई कर उन्होंने कानून का उल्लंघन भी किया।

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