कर्नाटक में विधायकों एक समिति ने अनुसार महिलाओं को नाइट शिफ्ट नहीं करना चाहिए और इसके इसके लिए कंपनियों को भी एहतियात बरतनी चाहिए। कंपनियों को सलाह दी गई है कि जितना हो सके महिलाओं को नाइट शिफ्ट से दूर ही रखा जाए। इस प्रस्ताव का महिला कर्मचारियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने विरोध किया। उनका कहना है कि यह प्रस्ताव राज्य को पीछे ले जाने वाला है।
इस प्रस्ताव को पेश करने वाले समिति के प्रमुख एन.ए हैरिस ने कहा कि महिलाओं के पास काम बहुत ज़्यादा होता है, क्योंकि उन्हें न सिर्फ घर की देखभाल करनी होती है, बल्कि उन्हें बच्चों की देखरेख भी करनी होती है।
विधानसभा में अपनी 32 रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए सोमवार को विधायिका की ओर से निर्मित महिला और बाल कल्याण समिति ने कहा कि वो IT और BT कंपनियों में महिला के रात की शिफ्ट में काम करने की पक्षधर नहीं है। समिति का कहना है कि महिलाओं को सुबह या दोपहर की शिफ्ट दी जानी चाहिए।
हैरिस ने आगे कहा कि एक पति अपनी पत्नी की सहायता तो कर सकता है लेकिन वह उसकी जगह मां नहीं बन सकता। NDTV से बात करते उन्होंने कहा, “एक औरत पर कई जिम्मेदारियां होती हैं। उन्हें बच्चों का ख्याल रखना होता है। अगर वो रात को काम करेंगी।