उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने इशारों-इशारों में केंद्र की मोदी सरकार को नसीहत दी है। दरअसल, शनिवार(25 मार्च) को पंजाब यूनिवर्सिटी के 66वें दीक्षांत समारोह के दौरान बतौर मुख्य अतिथि छात्रों को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने विश्वविद्यालयों के बिगड़ते माहौल पर चिंता जताई।
फाइल फोटो।उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा कि हमारे विश्वविद्यालयों की स्वतंत्रता को संकीर्ण विचारों के आधार पर चुनौती दी जा रही है और उसे जनहित में बताया जा रहा है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को मुक्त क्षेत्र और उदार मूल्यों के नवीनीकरण के स्रोत के रुप में पोषित करने की जरूरत है ताकि सामाजिक गतिशीलता और समानता का मार्ग प्रशस्त हो सके।
उन्होंने आगे कहा कि देश में घटी हाल की कुछ घटनाओं से यह पता चलता है कि इस बात को लेकर काफी भ्रम का स्थिति है कि एक विश्वविद्यालय को कैसा होना या नहीं होना चाहिए। विश्वविद्यालयों की स्वतंत्रता को ‘जनहित के आधार पर संकीर्ण मानसिकताओं’ द्वारा चुनौती दी जा रही है।
उपराष्ट्रपति ने देश के संविधान और लोकतंत्र का हवाला देते हुए कहा कि असहमति और आंदोलन के अधिकार तो हमारे संविधान के मौलिक अधिकारों में अंतर्निहित हैं जो कि भारत जैसे विविधता पूर्ण देश को संकीर्ण समुदायिक, वैचारिक या धार्मिक मानदंडों पर परिभाषित करने से रोकते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि किसी गैरकानूनी आचरण या हिंसा के अलावा अन्य किसी भी परिस्थिति में एक विश्वविद्यालय को खामोश नहीं रहना चाहिए न ही उसके शिक्षकों या छात्रों को किसी दृष्टिकोण विशेष का समर्थन या खंडन करने के लिए प्रभावित करना चाहिए। बल्कि, विश्वविद्यालयों को अपनी सैद्धांतिक अखंडता और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए हर कानूनी तरीका अपनाना चाहिए।
बता दें कि हाल ही में दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय(जेएनयू) की कुछ घटनाओं की पृष्ठभूमि में उपराष्ट्रपति का यह बयान अपने आप में काफी महत्वपूर्ण है। खुद उपराष्ट्रपति दक्षिणपंथी राजनीतिक दलों और संगठनों के निशाने पर आते रहे हैं।