जयपुर की विशेष NIA अदालत ने गत् बुधवार को अजमेर शरीफ दरगाह विस्फोट मामले में दो दोषियों देवेंद्र गुप्ता और भावेश पटेल को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने देवेन्द्र गुप्ता, भावेश पटेल और सुनील जोशी को आईपीसी की धारा 120 बी, 195 और धारा 295 के अलावा विस्फोटक सामग्री कानून की धारा 34 और गैर कानूनी गतिविधियों का दोषी पाया। इस मामले से जुड़े एक संदिग्ध भरत मोहनलाल रतेशवर ने बेहद चौंकाने वाला दावा किया है।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को रतेशवर ने अपने बयान में बताया कि अजमेर ब्लास्ट का दोषी सुनील जोशी योगी आदित्य नाथ से मिला था। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की जांच के मुताबिक, यह मीटिंग मार्च-अप्रैल 2006 में आदित्यनाथ के गोरखपुर स्थित घर पर हुई थी। एनआईए ने दावा किया था कि दिसंबर 2007 में मध्यप्रदेश के देवास में जब उसे जोशी का शव मिला था तो उसकी जेब में आदित्यनाथ का फोन नंबर मिला था।
जनसत्ता की खबर के अनुसार,राष्ट्रीय जांच एजेंसी की जानकारी के मुताबिक,रतेशवर ने अपने बयान में बताया कि “हम एक आश्रम के गेस्ट हाउस में रुके थे। रात के लगभग 9 बजे थे और मैं और जोशी आदित्य नाथ से मिलने उनके घर के हाल में गए थे। वहां जाकर मैं कुछ दूरी पर खड़ा हो गया लेकिन जोशी आदित्य नाथ के करीब जाकर बैठ गया। दोनों बड़े ही गुप्त तरीके से धीमी आवाज में बातें कर रहे थे।”
यह ब्लास्ट अजमेर की ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह पर हुआ था। यह हमला 11 अक्टूबर 2007 को हुआ था, जिसमें तीन लोगों की मौत हुई थी। वहीं 17 लोग जख्मी हुए थे। मामले के कुल 13 आरोपियों में से तीन अभी भी फरार चल रहे हैं।