बिहार में आयोजित अंतरराष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलन में दलाई लामा के शामिल होने पर भड़का चीन, भारत को दी चेतावनी

0

बिहार में आयोजित हुए अंतरराष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलन के लिए तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा को न्योता भेजे जाने पर चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। भारत को चेतावनी देते हुए चीन ने सोमवार(20 मार्च) को कहा कि भारत द्विपक्षीय रिश्तों में तल्खी से बचने के लिए चीन की चिंताओं का सम्मान करे।

फाइल फोटो।

चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हु चनयिंग ने कहा कि हाल के दिनों में भारत ने चीन की चिंताओं और विरोध को पूरी तरह दरकिनार कर 14वें दलाई लामा को भारतीय सरकार की तरफ से आयोजित हुए अंतरराष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलन के लिए न्योता दिया है।’

चनयिंग ने आगे कहा कि ‘चीन इससे असंतुष्ट है और इसका पुरजोर विरोध करता है।’ उन्होंने कहा कि ‘हम भारतीय पक्ष से गुजारिश करते है कि वह दलाई समूह के चीन-विरोधी अलगाववाद को समझे और तिब्बत के प्रति चीन की प्रतिबद्धता का सम्मान करे। भारत तिब्बत को लेकर चीन की चिंताओं का सम्मान करे और चीन-भारत संबंधों पर बुरा असर डालने वाली चीजों से बचे।’

81 साल के सर्वोच्च तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने 17 मार्च को बिहार के नालंदा जिले में स्थित राजगीर में अंतरराष्ट्रीय बौद्ध सेमिनार का उद्घाटन किया था। राजगीर बिहार की राजधानी पटना से करीब 100 किलोमीटर दूरी पर है। ’21वीं शताब्दी में बौद्ध धर्म’ नाम के इस सेमिनार में दुनिया के अलग-अलग देशों के बौद्ध संन्यासी और विद्वानों ने हिस्सा लिया।

इससे पहले, इसी महीने चीन ने दलाई लामा को अरुणाचल प्रदेश का दौरा करने की इजाजत देने पर भारत सरकार से ऐतराज जताया था। दरअसल चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा मानता है। तब चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा था कि चीन विवादित क्षेत्रों में दलाई लामा के जाने का कड़ा विरोध करता है।

उन्होंने कहा था कि ‘पूर्वी चीन-भारत सीमा को लेकर चीन का रुख स्पष्ट है। दलाई काफी समय से चीन-विरोधी अलगाववादी गतिविधियों में शामिल रहे हैं। उनका विवादित क्षेत्रों में जाना ठीक नहीं है।’

नोबल शांति पुरस्कार से सम्मानित दलाई लामा 1959 में चीन छोड़कर भारत में शरण लिए थे। चीन उन्हें खतरनाक अलगाववादी मानता है। अतीत में चीन ने उनके साथ सुलह के लिए बातचीत भी कर चुका है, लेकिन 2012 में शी चिनफिंग के राष्ट्रपति बनने के बाद चीन का दलाई लामा पर रुख पहले से ज्यादा सख्त हो गया और पेइचिंग उनकी मेजबानी न करने के लिए तमाम देशों पर दबाव डालता रहा है।

Previous articleOn happiness index globally, Indians are behind Pakistan, Bangladesh
Next articleSunil Grover writes gut-wrenching letter to Kapil Sharma, asks him not to behave like ‘God’