सभी मुसलमानों को एक चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए: शबाना आजमी

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भारतीय सिनेमा का जाना-पहचाना नाम और समाजिक कार्यकर्ता शबाना आजमी ने तुच्छ राजनीति करने वालों को खरी-खोटी सुनाई। यूके संसद परिसर में बोलते हुए उन्होंने कहा कि ”मुसलमान होना मेरी पहचान का सिर्फ एक पहलू मात्र है, लेकिन लगता है कि पूरी दुनिया में यह प्रयास किया जा रहा है कि पहचान को सिर्फ धर्म के दायरे में रख दिया जाए, जिसमें मैं अपनी पहचान के बाकी तमाम पहलुओं के साथ पैदा हुई।”

उन्होंने कहा, ”अगर आप मुझसे पूछते हैं कि मैं कौन हूं तो मैं कहूंगी कि मैं महिला हूं, भारतीय हूं, बेटी हूं, पत्नी हूं, मुस्लिम हूं, कार्यकर्ता हूं।”

मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, शबाना आजमी ने कहा, ‘मुझे किसी बक्से में बांधों मत, मुझे एक जगह बांधकर रखने की कोशिश मत करो।’ उन्होंने आगे कहा, ‘संकीर्ण राजनीतिक लाभ के लिए वातावरण का ध्रुवीकरण मत करो, लोगों को बाध्य मत करो कि वे लोग अपना ‘मॉडल समुदाय’ बना लें, यह ‘मॉडल समुदाय’ महिला, दलित, आदिवासी के अलावा भी किसी भी तरह का हो सकता है जिससे लगे कि हम लोग सबसे अलग हैं।’

हालांकि ये पहला मौका नहीं है जब शबाना आजमी ब्रिटिश संसद को संबोधित करने जा रही हों, इससे पहले उन्हें ब्रिटिश पार्लियामेंट में ही गांधी इंटरनेशनल पीस प्राइज मिल चुका है। उन्हें ये सम्मान वेनिसा रेडग्रावे के हाथों मिला था जो खुद भी सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों को उठाती रहती हैं।
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