अदाकारी की पाठशाला और बॉलीवुड के अभिनय सम्राट दिलीप कुमार केवल तभी सुर्खियों में होते है जब उनकी तबियत खराब होती है। इसके अलावा मीडिया या फिल्म जगत में उनकी कोई खबर नहीं होती। सायरा बानों के रिश्तेदार और जमशेदपुर के करीम सिटी कालेज के पत्रकारिता विभाग में सीनियर एग्जिक्यूटिव रहें सिकन्दर हयात खान ने कल शाम दिलीप कुमार और सायरा बानो से मुलाकात कर उनके तबियत के बारें में ताजा जानकारी और तस्वीरें ‘जनता का रिपोर्टर’ को उपलब्ध कराई।
भारत सरकार दिलीप कुमार को पद्मभूषण’ तथा ‘दादा साहेब फाल्के पुरस्कार’ से नवाज चुकी है। ग्लेमर की दुनिया का सर्वाधिक चमकता सितारा अब अपने पहले जैसे हालात में नहीं हैं। सिकन्दर हयात खान ने बताया कि वह चलते फिरते है और बातों को समझने की कोशिश भी करते है काफी देर बाद किसी बात पर अपनी सहमती भी देते है लेकिन पहले जैसी बात अब नहीं रही हैं।
उन्होंने आगे बताया कि सायरा बानो पूरी तरह से दिलीप साहब की तबियत का ख्याल रखती है। उनकी बदौलत ही वह इन दिनों ठीक है लेकिन तबियत पूरी तरह से दुरस्त नहीं रहती है। तबियत ठीक न होने की वजह से किसी से ज्यादा मिलते-जुलते नहीं है।
इस उम्र में अभिनय सम्राट की सेहत का ख्याल रखने के उन्हें हरदम डाक्टर्स की निगरानी में रखा जाता है इसके अलावा उनकी डाइट का विशेष ध्यान रखा जाता है। दिलीप साहब काफी पहले ही अभिनय छोड़ चुके है इसलिए अब पूरे दिन सिर्फ घर पर रहकर आराम फरमाते है।
उनके सम्मान में राज्यभर में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है लेकिन तबियत ठीक न होने की वजह से वह उनमें शिरकत नहीं कर पाते है। हालांकि सभी फिल्म अवार्ड समारोह और आयोजनों से बुलावा आता है लेकिन उन सब में जाना मुमकिन नहीं हो पाता है।
1943 के दौर की सफल अभिनेत्री देविका रानी और उनके पति हिमांशु राय ने पुणे की सैन्य कैंटीन में दिलीप कुमार को देखा और उन्हें 1944 में बनी फिल्म ‘ज्वार-भाटा’ में मुख्य रोल के लिए चुन लिया। दिलीप कुमार की यह पहली हिन्दी बॉलीवुड फिल्म थी। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।