अजमेर की दरगाह में 2007 हुए बम विस्फोट मामले में कोर्ट ने तीन आरोपियों को दोषी करार दिया है। जबकि सबसे ज्यादा चर्चित आरोपी स्वामी असीमानंद को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया है। विशेष एनआईए कोर्ट ने बुधवार(8 मार्च) को यह फैसला सुनाया।
मामले के 9 अभियुक्तों में से 3 सुनील जोशी, भावेश और देवेंद्र गुप्ता को दोषी करार दिया गया है। इन तीनों को 16 मार्च को सजा सुनाई जाएगी। जिनमें सुनील जोशी की मृत्यु हो चुकी है। अदालत 25 फरवरी को इस मामले में फैसला सुनाने वाली थी। मगर, दस्तावेजों और बयानों को पढ़ने और फैसला लंबा होने के कारण लिखने में समय लगने की वजह से अदालत ने फैसला सुनाने के लिए 8 मार्च की तारीख तय की थी।
एनआईए ने कहा है कि असीमानंद के खिलाफ सबूत नहीं पाए गए, जबकि 2011 में असीमानंद को इसी जांच एजेंसी ने ब्लास्ट का मास्टरमाइंड बताया था। एनआईए द्वारा इस मामले में 13 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर किया गया था। इनमें से सुनील जोशी की मौत हो चुकी है, जबकि 3 अभी भी फरार हैं।
गौरतलब है कि 11 अक्टूबर, 2007 की शाम करीब सवा छह बजे अजमेर में स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह परिसर में ब्लास्ट हुआ था। इस ब्लास्ट में तीन लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 15 लोग घायल हुए थे। इस मामले में कुल 184 लोगों के बयान दर्ज किए गए, जिसमें 26 महत्वपूर्ण गवाह अपने बयानों से मुकर गए थे।