बलात्कार के जो वीडियो सोशल साइट पर उपलब्ध है, उस पर प्रतिबंध किस प्रकार से लगाया जाए व कैसे इनको अपलोड होने से रोके व इस तरह के वीडियो को सोशल मीडिया पर डालने वालों के खिलाफ क्या-क्या करवाई हुई है, सुप्रीम कोर्ट इस बाबत सुनवाई कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान इस बात पर चिंता जताई कि अपलोड हुए वीडियो को हटाया जाने में वक्त लगता है और और ऐसे में उस शख्स की साख चली जाती है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि जब तक ऐसे वीडियो को हटाया जाता है तब तक वह सारे में फैल जाते है। तो क्या ये मुमकिन है कि पहले ही इन्हें पहले ही रोक दिया जाए ना कि बाद में इस बात का उपचार किया जाए।
इस बात के जवाब में गूगल के वकील ने कहा कि ये संभव नहीं है कि अपलोड होने वाले सभी वीडियो की जांच की जाए। अगर नोडल एजेंसी के जरिये कोई शिकायत आए तो कंपनी कारवाई कर सकती है।
मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, जबकि इस प्रकार के वीडियो को हटाए जाने के बारे में गूगल की ओर से कहा गया कि ये संभव नहीं है क्योंकि हर मिनट 400 घंटे के वीडियो अपलोड होते हैं। ऐसे में कंपनी को वीडियो की छानबीन करने के लिए पांच लाख लोगों की जरूरत होगी।
आपको बता दे कि एनजीओ प्रज्ज्वला ने पूर्व प्रधान न्यायाधीश एचएल दत्तू को एक पत्र के साथ दुष्कर्म के दो वीडियो वाली पैन ड्राइव भेजी थी. ये वीडियो व्हॉट्सऐप पर वायरल हुए थे. कोर्ट ने पत्र पर स्वतः संज्ञान लेकर सीबीआई को जांच करने व दोषियों को पकड़ने का आदेश दिया था।