चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के एक ट्वीट के बाद कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के बीच संबंध शुक्रवार को उस समय और निचले स्तर पर पहुंच गए जब ममता बनर्जी की पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में अमेठी में राहुल गांधी की हार पर कटाक्ष किया और पूछा कि क्या कांग्रेस ट्विटर ट्रेंड के जरिये इस हार को मिटा सकती है।
दरअसल, भाजपा के खिलाफ विपक्षी मोर्चे का नेतृत्व करने की इच्छा रखने वाले दोनों दलों के बीच शुक्रवार सुबह ट्विटर पर उस समय वाकयुद्ध शुरू हुआ जब चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कांग्रेस के लिए एक संदेश में कहा कि जो लोग लखीमपुर खीरी की घटना के बाद सबसे पुरानी पार्टी (जीओपी) कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन के त्वरित पुनरुद्धार की संभावना तलाश कर रहे हैं, वे बड़ी गलतफहमी में जी रहे हैं।
कांग्रेस में शामिल होने की अटकलों के बीच चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने शुक्रवार को अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा था, ”लखीमपुर खीरी की घटना के आधार पर जीओपी (कांग्रेस) के नेतृत्व वाले विपक्ष के त्वरित, सहज पुनरुद्धार की संभावना तलाश कर रहे लोग बड़ी गलतफहमी में जी रहे हैं।” उन्होंने कहा, ”दुर्भाग्य से जीओपी की गहरी समस्याओं और संरचनात्मक कमजोरी का कोई त्वरित समाधान नहीं है।”
People looking for a quick, spontaneous revival of GOP led opposition based on #LakhimpurKheri incident are setting themselves up for a big disappoinment.
Unfortunately there are no quick fix solutions to the deep-rooted problems and structural weakness of GOP.
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) October 8, 2021
बता दें कि, किशोर ने मार्च-अप्रैल के विधानसभा चुनाव में टीएमसी के लिए काम किया था और पार्टी के शीर्ष पदाधिकारियों के साथ उनके बहुत अच्छे संबंध हैं। किशोर के ट्वीट के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तुरंत पलटवार करते हुए कहा कि राष्ट्रीय विकल्प बनने के लिए गहरे और ठोस प्रयासों की जरूरत है।
उन्होंने ट्वीट किया, ”अपनी सीट भी नहीं जीत पाने वाले आईएनसी पदाधिकारियों को अपने पाले में ले जाकर एक ”राष्ट्रीय” विकल्प की तलाश करने वाले लोग गलतफहमी में हैं। एक राष्ट्रीय विकल्प बनने के लिए गहरी जड़ें और ठोस प्रयासों की आवश्यकता होती है और दुर्भाग्य से इसका कोई त्वरित समाधान नहीं है।”
People looking for a “national” alternative based on poaching INC functionaries who can’t win even their own seats is in for a big disappointment.
Unfortunately, to become a national alternative deep-rooted and concerted efforts are needed and there are no quick- fix solutions.
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) October 8, 2021
बघेल जाहिर तौर पर कांग्रेस की पूर्व सांसद और इसकी महिला इकाई की प्रमुख सुष्मिता देव तथा गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री लुइज़िन्हो फलेरियो को तृणमूल कांग्रेस में शामिल किए जाने का जिक्र कर रहे थे। भाजपा के खिलाफ लड़ाई में कथित रूप से विफल होने पर कांग्रेस की आलोचना करने वाली टीएमसी ने बघेल की टिप्पणी को ”आलाकमान को खुश करने का घटिया प्रयास” कहा।
टीएमसी ने पटलवार करते हुए ट्वीट किया, ”पहली बार मुख्यमंत्री बने व्यक्ति की बड़ी-बड़ी बातें। अपनी हैसियत से ऊंची बात करना आपको शोभा नहीं देता श्रीमान भूपेश बघेल। यह आलाकमान को खुश करने का कितना घटिया प्रयास है! वैसे, क्या कांग्रेस एक और ट्विटर ट्रेंड के जरिए अमेठी की ऐतिहासिक हार को मिटाने की कोशिश कर रही है?”
Rich words coming from a first-time CM. Punching above your weight doesn’t bring honour to you, Mr. @bhupeshbaghel. What a shoddy attempt to please the high command!
By the way, is @INCIndia going to try to erase the historical defeat at Amethi through yet another Twitter Trend? https://t.co/UiI1Zvcudl
— All India Trinamool Congress (@AITCofficial) October 8, 2021
पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी लोकसभा चुनाव में अमेठी में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की हार की ओर इशारा कर रही थी। कांग्रेस और टीएमसी के बीच संबंध हाल ही में टीएमसी के मुखपत्र ‘जागो बांग्ला’ में एक लेख प्रकाशित होने के बाद तल्ख हो गए थे, जिसमें कहा गया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ ममता बनर्जी विपक्ष का चेहरा बनकर उभरी हैं, राहुल गांधी नहीं।
बता दें कि, लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा में प्रदर्शनकारी किसानों की मौत के बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को मौके पर जाते समय हिरासत में लिया गया था और वह दो दिनों तक पुलिस की अभिरक्षा में थीं। इसके बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने पीड़ित परिवारों से मुलाकात की थी। (इंपुट: भाषा के साथ)