उत्तर प्रदेश में नवनिर्वाचित योगी सरकार आने के बाद हर रोज अवैध बूचड़खाने बंद कराए जा रहे हैं। प्रशासन की सख्ती से बूचड़खाने बंद होते ही मीट की सप्लाई में तेजी से गिरावट आ गई है। इस कार्रवाई का सबसे ज्यादा असर लखनऊ में करीब सवा सौ साल पुरानी टुंडे कबाबी की मशहूर दुकान पर देखा जा रहा है।
फोटो: One indiaखबरों के मुताबिक, लखनऊ के इस मशहूर टुंडे कबाबी के कबाब खाने वालों को मायूसी का सामना करना पड़ रहा है। पिछले 110 सालों में यह पहली बार हुआ है, जब भैंसे के मीट की कमी होने की वजह से बुधवार(22 मार्च) को टुंडे कबाबी की दुकान बंद रही, क्योंकि कबाब बनाने के लिए भैंसे का मीट ही नहीं मिल रहा है।
दरअसल, इस दुकान पर बड़े (भैंसे का) मांस और कबाब मिलता है। बाकायदा इसका लाइसेंस भी है, लेकिन शहर में मीट की किल्लत के चलते बुधवार को शटर गिरे रहे। यह दुकान 1905 में लखनऊ में अकबरी गेट इलाके में शुरू हुई थी। इस दुकान में अब भी सिर्फ कबाब और पराठा मिलता है।
चौक के अकबरी गेट पर स्थित टुंडे कबाबी के संचालक अबु बक्र ने बताया कि सप्लाई पूरी तरह से ठप हो चुकी है। ऐसी स्थिति थी कि बुधवार को दुकान बंद तक करनी पड़ गई। आज गुरुवार को हमने दुकान खोली है, लेकिन बीफ के कबाब की जगह हम चिकन के कबाब ग्राहकों के सामने पेश कर रहे हैं, जबकि लोग बड़े के कबाब पसंद करते हैं।