त्रिपुरा विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन राज्यपाल तथागत राय ने पूरा लिखित अभिभाषण नहीं पढ़ा। रॉय ने कहा, ‘मैंने जो पेज पढ़ लिए हैं और अब मैं पैरा 95 के बाद का हिस्सा पढूंगा। ‘उन्होंने बस सामने के दो पन्ने और आखिर का एक हिस्सा पढ़ा।
इसके बाद तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने गवर्नर से पूछा, आपको पूरा भाषण क्यों नहीं पढ़ रहे हैं? हम आपका विरोध नहीं कर रहे हैं। लेकिन यह परंपरा नहीं है।’
इस पर तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप रॉय बर्मन ने कहा, वह बीमार भी नहीं थे और उनके भाषण के दौरान विपक्ष के सदस्यों ने कोई बाधा भी नहीं खड़ी की फिर राज्यपाल ने पूरा अभिभाषण क्यों नहीं पढ़ा? राज्यपाल द्वारा भाषण पूरा न पढ़ने के कारण को बताते हुए उन्होंने आगे कहा कि इस अभिभाषण के न पढ़े गए खण्ड में राजग सरकार की भूमिका की कड़ी आलोचना की गयी थी, अतः उन्होंने उस हिस्से को छोड़ दिया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने इस पर आगे कहा, वे खामोश रहे क्योंकि माणिक सरकार की अगुवाई वाली सरकार नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को नाराज नहीं करना चाहती है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक राज्यपाल ने जो हिस्सा नहीं पढ़ा उसमें लिखा था, देश में आज सांप्रदायिक स्थिति तनावपूर्ण है। अल्पसंख्यक और दलितों पर लगातार हमले हो रहे हैं और असिहष्णुता बढ़ रही है। यह शांति और एकता के लिए हानिकारक है जिसकी विकास के लिए देश को जरूरत है।
आगे के पेजों में लिखा गया था कि केंद्र और राज्य के बीच परामर्श और सहयोग की व्यवस्था की कमी के कारण एक पार्टी के शासन का ट्रेंड भी लगातार बढ़ रहा है। देश में संघीय ढांचा खतरे में है। किसानों को अपनी फसल का सही दाम नहीं मिल रहा और इसलिए उनमें आत्महत्या करने वालों की संख्या बढ़ रही है। ‘नोटबंदी ने वित्तीय लेन-देन को काफी प्रभावित किया है। इससे एक झटके में 85 फीसदी मुद्रा बाजार से बाहर हो गई और इसने आम लोगों को सबसे ज्यादा चोट दी है।’
राज्यपाल द्वारा भाषण के अंशों को मनमुताबिक पढ़े जाने के बाद विधायकों ने विधानसभा में ‘शेम..शेम’ के नारे लगाने शुरू कर दिए। जबकि राज्यपाल ने अपना अभिभाषण पूरा किया और विधान सभा से बाहर चले आए।