तीन तलाक के मामले पर देश में चल रही बहस के बीच इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आज एक बड़ी टिप्पणी की, कोर्ट ने तीन तलाक को असंवैधानिक बताते हुए कहा है कि इससे मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों का हनन होता है।
अदालत ने कहा है कि पर्सनल लॉ बोर्ड संविधान से ऊपर नही हो सकते। अदालत के मुताबिक ऐसे बोर्डों को भी संविधान के मुताबिक काम करना होगा. तीन तलाक के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने ये बातें कहीं।
वहीं आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस फैसले को शरियत के खिलाफ बताया है. बोर्ड अब इस फैसले को सर्वोच्च अदालत में चुनौती देगा।
केंद्र सरकार तीन तलाक के पक्ष में नहीं है। सरकार ने 7 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया था कि तीन तलाक की संविधान में कोई जगह नहीं है। तीन तलाक और बहुविवाह की इस्लाम में कोई जगह नहीं है। इसके बाद सरकार ने मुस्लिम संगठनों की राय जानने के लिए 16 सवालों की प्रश्नावली भी तैयार की जिसका ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने बहिष्कार करने का ऐलान किया। ट्रिपल तलाक के अलावा यूनिफॉर्म सिविल कोड के मुद्दे पर भी ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड केंद्र सरकार के रुख का विरोध कर रहा है।
समाजवादी पार्टी नेता अबू आज़मी ने इस फैसले पर कहा कि ट्रिपल तलाक का मामला पूरी तरह से धार्मिक मामला है। ट्रिपल तलाक का मतलब अलग है। संविधान देश का और कुरान शरियत दोनों अलग चीजें हैं। आडवाणी पाकिस्तान में पैदा हुए तो हिंदुस्तान आ गए। अगर कल हिंदुस्तान में कह दिया जाए कि हिंदू अपने मुर्दो को जला नहीं सकते, मंदिर नहीं जा सकते तो उनसे पूछा जाएगा कि उनका धर्म बड़ा या कानून बड़ा। हम अपने इस्लामिक कानून में दखलंदाजी नहीं चाहते।