तिहाड़ जेल में छोटा राजन को विशेष सुविधा मिलने पर अपने साथियों के साथ भूख हड़ताल पर बैठे शहाबुद्दीन

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तिहाड़ जेल में बंद राष्ट्रीय जनता दल(राजद) के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन और गैंगस्टर नीरज बवानिया ने जेल के अंदर भूख हड़ताल शुरू कर दी है। ख़बरों के मुताबिक, इनकी नाराजगी इस बात को लेकर है कि जेल में जो सुविधाएं गैंगस्टर छोटा राजन को मिली हैं, वे उन्हें नहीं दी जा रही हैं।

फोटो- NBT (छोटा राजन और शहाबुद्दीन)

न्यूज़18 हिंदी की ख़बर के मुताबिक, शहाबुद्दीन का आरोप है कि छोटा राजन को जेल के अंदर टीवी, किताबें और बाकी सुविधाएं दी जा रही हैं, मगर उन्हें सामान्य सुविधाएं भी हासिल नहीं हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, इस संबंध में शहाबुद्दीन की ओर से हाई कोर्ट में एक याचिका भी दाखिल की गई है, जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने तिहाड़ जेल के सुपरिटेंडेंट को नोटिस जारी कर दिया है और 27 अप्रैल तक जवाब दाखिल करने को कहा है।

सूत्रों के हवाले से न्यूज़18 हिंदी में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, नीरज बबानिया, शहाबुद्दीन और छोटा राजन तीनों दो नंबर हाई रिस्क वार्ड में बंद हैं। नीरज और शहाबुद्दीन का आरोप है कि छोटा राजन को बैरक के अंदर तमाम तरह की सुविधाएं दी जा रही हैं, यही कारण है कि शहाबुद्दीन ने भूख हड़ताल शुरू कर दी हैं। हालांकि, 80 कैदियों के भूख हड़ताल पर तिहाड़ ने चुप्पी साधी हुई है।

न्यूज़18 हिंदी की रिपोर्ट के मुताबिक, आरजेडी के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन ने दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में कहा है कि उन्हें पिछले 13 महीने से तिहाड़ जेल के ऐसे हिस्से में रखा गया है, जहां न ही रोशनी आती है और न ही हवा। शहाबुद्दीन ने कहा कि उन्हें एकांत कारावास में रखा गया है।

साथ ही अपनी याचिका में उन्होंने कहा है कि जबसे वह तिहाड़ जेल में शिफ्ट हुए हैं, तब से उनका वजन 15 किलो घट गया है। शहाबुद्दीन ने कहा कि अगर हालात यही रहे तो उन्हें गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। उन्होंने मांग की है कि उन्हें एकांत कारावास से निकालकर आम कैदियों की तरह रखा जाए।

बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट पिछले साल 15 फरवरी को करीब 45 आपराधिक मामलों का सामना कर रहे मोहम्मद शहाबुद्दीन को बिहार के सीवान जेल से एक तिहाड़ जेल शिफ्ट करने का आदेश दिया था। दो अलग-अलग घटनाओं में अपने तीन बेटे गंवा चुके चंद्रकेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू और आशा रंजन ने याचिका दायर कर राजद नेता को तिहाड़ जेल में रखने का आग्रह किया था, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया था।

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